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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, February 20, 2009

उत्तराखंडी भाषा का शब्दों क रूपांतरण कू याक प्रयास

उत्तराखंडी भाषा का शब्दों क रूपांतरण कू याक प्रयास


संज्ञा-

कै मनखी, चीज या जगा का नौं क संज्ञा बोलदन।
जनू- राहुल, मुंगरी, टिहरी

उदा-

१-राहुल खड़ू च।
२-मुंगरी पकीं च।
३-टिहरी डुबीगी।

सर्वनाम-

नौं का बदला उपयोग होण वाला शब्दों तें सर्वनाम बोलदन।
जनू- तैन, त्वैन, येकू, तेकू,सू

उदा-

१- सू लाखड़ा च फाड़णू।

विशेषण-

जु शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतोंदन, तोंक विशेषण बोलदन।
जनू- ग्वोरू, मीठू, चार

उदा-

१- सू मनखी ग्वोरू च।

क्रिया-

जे शब्द सी कै काम होणकू पता चललू , तैक तें क्रिया बोलदन।
जनू- चलणू, उठणू, बैठणू, खाणू, पीणू

उदा-

१-राम चलणू च।
२-राहुल खाणू च।

क्रिया-विशेषण-

जु शब्द क्रिया की विशेषता बतोंदन, तोंक तें क्रिया-विशेषण बोलदन।
जनू- कम, ऐंच, अबी

उदा-

१-खाणा कम खावा।
२-सू ऐंच च जायों।

संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया क्रिया-विशेषण

बच्चा सू चमकीलु लिखणु तेज
मनखी तु ग्वोरू उठणु कम
छौरा तेन कालु बैठणु ऐंच
छौरी त्वेन लड़ाकू खाणू ब्वाँ
दगड्या मैंन पीणू आज
बुढ्या तैकू सिखौंणू भोल
छ्वटू त्योरू पकड़णु जादा
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By: - देवेन्द्र कैरवान (शोध सहायक ) आई.आई.टी, मुम्बई,

2 comments:

  1. उत्तराखण्ड मे दो अंचल हैं कुमाऊं और गढ़वाल दोनो की भाषा और संस्कृति में काफ़ी विषमताऎं हैं। जहां तक भाषा और संस्कृति का सम्बन्ध है उत्तराखण्डी नाम की ना तो कोई भाषा है और ना संस्कृति फ़िर इसे कुमाऊनी या गढ़वाली कहने की बजाय ऊत्तराखण्डी कहने का क्या औचित्य है यह मेरे मन्द बुद्धि की समझ से बाहर है। इस लेख का शीर्षक लेखक द्वारा उत्तराखण्डी की बजाय गढ़वाली क्यों नही रखा जबकि इस लेख में गढ़वाली भाषा के बारे में जिक्र हो रहा है।

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