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Wednesday, August 1, 2012

गढ़वाली कविता--सरकरि पैसा भुस्स


इलाका मा 
विकास योजना
हर मद मा
लाखों-करोड़ों रूप्या
बाटों मा
माटु छलकाओ
सीमेंट-गारा लपोड़ो 
कखिम
यात्री शेड
कखिम
टंकी
कखिम
पंचैतघर
कखिम
मूत्रालय
कखिम 
कुछ
कखिम
कुछ बि ना
कागजों मा
सब कुछ
काम-काज
कुछ हो नि हो
नेताजी कि
गाड़ी ऐ जांद
तिमंजिला कूड़ी
बणी जांद
गौं का लोग
दारू पेकि खुश
सरकारी पैसा भुस्स.

       डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित . narendragauniyal@gmail.com

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