भग्यान विनोद उनियाल (अमाल्डु , डबरालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल )
अन्नु दा कि
फटीं कुर्ति
फटीं सुलरि
समाज -वादै खोज मा
पहाड़ छोड़ीइ
मैदानु मा ऐ ग्ये
वे कि
फटीं टुपलि
बदले ग्ये खादिकि
सफेद टोपी मा
कुर्ति
अर सुलरि -चम्म सुलार
बृजु दा अब
पक्को बगुला भगत
अनिल उदयपुरी बण्यू च
अनिल उदयपुरी बण्यू च
मैदानु , दिल्ली मा रैकि
पहाडुं की कल्पना हूणि च
ऊंचि ऊंचि डाँड्यूं मा
कागजी कुँआ ख्वदेणा छन
अर
तब ब्याखान दियेणा छन
ऊँ हौरि अन्नुऊँ तैं
जौंका गात पर
फटीं कुर्ति बि नी च
भुलौं टक लगै सुणों
समाजवाद , विकास सुदी नि आंदो
यां का बाना
खांण प्वड़दन
खैरि -सुसगरि
ख्यलण प्वड़दन कतनै खंड
बदलण प्वड़दन -दल का दल
मिथै इ देखल्यावदि
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