नेता बल आम आदमियो से बिलकुल ही अलग हुन्दन अर पछीणे जदिनी ! जन कुतो माँ , खुजली वाल वालू कुता .... दूर बीटी ही पछ्याणे जांद उनी जनता का बीचम वो भी ! ऊकी , चाल- ठाल, उठूणु-बैठूणु, खाणु- पीणु , बुन- बच्याणु , सब , सब से अलग ही हुन्द ! जी हां , अलग ! संस्कृतं एक श्लोक च " लुन्ड़ो ; बिचतरो गती : " अर्थात जन की लुंड माने आवारा किस्म का आदमी की हर कुछ अलग ही हूँ उनी नेताओ की भी !
हमरा यख याने गडवाल बीटी वी नेता हूनी , जोन, द्वी -द्वी ब्यो कैनी ! जनकी हेम्वान्ती नदन बहुगुणा, शीबानद नोटियाल , जग मोहन सिह नेगी आदि आदि ! अबत कुमो बीटी भी य पर्था चली आण लगी ! हरीश रावत भी ये लग्यात माँ शामिल ह्वेगीनी ! या सबसे पहली पछयाण नेता हूँण की ! नेता त, कई ह्वनी ! पर, इन जन ना ! .. बाकी त जन बुलदं ना बल " बड गोर बल लूण बुकाऊ , अर छुटा थुबउड़ चाट " वनी !
ऊ बुल्दा कुछ छन अर करदा कुछ .. ! देख नी आपल, आज से १० साल पैली , एक बडो नेताल..., तब जू बुलद छो , की मेरी त अंतर्राष्ट्रीय राजनीत म दखल च ! त फिर मी प्रदेशीय राज्नितिम किलै जो ! मयारू दिमाग खराब च क्या ? है, ..... मि , कै पागल कुत्तो कटियु छो जू मी इनु काम कैरू ! कुई पागल ही ह्वालू जू प्रांतीय राजनीतंम जालू ! उन यख तक भी बोली दे छो की " राज्य ? कनु राज्य ...! अगर राज्य बनालू भी त मेरी लाश पर ????? ,,,,, अर जब राज्य बणीगे ! सया पिच्ल्या दरवाज बीटी राज्य की सब से अहम कुर्सी याने चीफ मिनिस्टर ह्त्येदी ! य दूसरी पछयाण च !
तैला मिल्या खुवाल, त , हमन सुणी भी , अर देखि भी छ ! पर, हर
चुनोमाँ , फिरका परस्ती , जजमानी -बामणी, खा- बा- डा अर बाजा बाज त गड्वाली कुमुनी नि चुकदी ताबा ! ये भै, कुई यूथे पूछा ....... /// तुम त हैरी जीती चली जैल्या .... पर हमत यख यखी रैण ! म्यारा गौ माँ कुई जाज काज होल त बामणलत काना ! कुई मोरी भाजिगे त हमले त हमने त हूँ ना कठा ? हमनै त, उठान ना ..मुरियु मुर्दा ? की ई आला देहरादून बीटी, हमरा गौ माँ मुर्दा उठानु कु ? जबरी यूथे हमरी चाड रैद त, कन घुम्दी, हमरा अग्वाडी पिछाडी लिडा कुकर सी ! अर जब हम थै युकी जरुरत पुडाद त तब पट दरवाज बद कैकी भैरम संतरी जू बितर त भीतर आगन्म तक नी आणि देदु ! युकू कुई मुवार्लुत वख सरकारी सरय मशीन दोडी डोदी ई जाली ! युका आसू पुच्णु बड़ा बड़ा अफसर मंत्री ऐजाला ! ये किक नि हुन्दन ये एक औरी पछ्यण च ! ईनी कै बता ओउरी भी छन !
पराशर गौर
नम्बर १६ दिनम ११.५५ पर
Achha lekh laga. Logon ko netaon ki pahchhan honi hi chahiye. Aajkal to har tisra aadmi apne aap ko Neta samajh baitha hai, jo ghar-pariwar se lekar samaj ke logon mein ekta ke bajaya darar paida kar ek khayee banata ja raha hai........
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