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Thursday, July 23, 2015

तोतकृष्ण गैरोला (1895 -भग्यान, द्यूळ , लस्या टिहरी गढ़वाल ) की कविता

इंटरनेट प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती 

                  श्रीधर सेठ

   रौंत्याळा सिरधूर गाऊं भर मा   गोधूळि का साजमा
  दौ  धौळी भरपाळि काळि घरऔ पांखे गूंजी गाजमा 
  लैंजे लगिन खोळिऊं तईं सजी बाछे अड़ाई अमा 
  बौळैणी  थण थामि पंहुची हुंकारदी चौकुमा 
औणी रमकदि झम्कदि बणु बिटे ब्वारी घणी घाणिमा 
नान्हा दनकिनि दाणि छाणि मई दे द्येली तू जाणिमा 
रासे भक्कर की पुणीक पड़नी खार्योंन कोठारुमा 
तै गौं मा सुख शान्ति शर्द ऋतू मा ये तौर होणी जमा 

(शेष …… ) 

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