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Monday, January 27, 2014

गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड ki जड़ी बूटी की झांकी पर्यटन सहयोगी है !

जड़ी बूटियां उत्तराखंड पर्यटन को प्राचीन  संबल देती आ रही हैं !
                      Medicinal and Herbal Plants as Source of Tourism Development in Uttarakhand 
                  (Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--40)
                                          उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 40   
                                                           लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधनविशेषज्ञ )
         सन २०१४ के गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में झांकी में उत्तराखंड में जड़ी बूटियां संबंधी चल झांकी भी दिखाई जायेगी। उत्तराखंड पर्यटन ब्रैंडिंग हेतु  झांकी महत्वपूर्ण है। 
जड़ी बूटियों द्वारा उत्तराखंड की छवि महाभारत काल से पहले से ही बनती आयी है।  
महाभारत , पुराणो व अन्य प्राचीन साहित्य में उत्तराखंड इलाके में ऋषियों , राजाओं का पर्यटन व कई वनस्पतियों का जिक्र मिलता है जो बताता है कि उत्तराखंड की जड़ी बूटियों ने उत्तराखंड की छवि वर्धन में कारगार योगदान दिया था।  प्लेस ब्रैंडिंग में मेड इन (निर्माण स्थान ), मेड बाइ ( किसने निर्माण किया ) का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है।  महाभारत में तो उत्तराखंड की बहुत सी वनसप्तियों का वर्णन इस प्रकार हुआ है जो इंगित करता है कि अन्वेषक उत्तराखण्ड आते रहे हैं। 
कालिदास के साहित्य में भी वनस्पतियों द्वारा उत्तराखंड छवि वर्धन हुआ है। 
 ऐसा माना जाता है कि चरक व सुश्रुवा व  शिष्यों ने उत्तराखंड में विचरण किया था और उत्तराखंड की जड़ी बूटियों का अध्ययन भी किया था जो इस बात का द्योत्तक है कि जड़ी बूटियों ने उत्तराखंड को विशेष छवि प्रदान की थी। 
अशोक व गुप्त काल में उत्तराखंड की वनस्पति व खनिज का निर्यात रोम तक होता था।  जो  बतलाता है कि जड़ी बूटियों का उत्तराखंड पर्यटन में एक विशेष स्थान था और है।  निर्यात पर्यटन सहायक माध्यम होता है। 
 
                             जड़ी बूटियों व वनस्पतियों से उत्तराखंड छवि वर्धन याने प्लेस ब्रैंडिंग 

जड़ी बूटियां या किसी भी अन्य वस्तु से स्थान छवि वर्धन से पर्यटन -निर्यात को लाभ होता ही है।
पहचान - जड़ी बूटियां (वनस्पतियां ) उत्तराखंड को  विशेष पहचान दिलाने में सहायक होते हैं। मेड इन या अवेलेबल (निर्मित  या सुलभता ) विशेष पहचान हेतु  आवश्यक माध्यम है।  हमेशा से ही वस्तु स्थल पहचान देने का एक औजार  सिद्ध हुआ है। 
स्थान की पहचान - स्थान की पहचान  अर्थ है कि ग्राहक विशेष स्थान को किस तरह देखता है या समझता है। 
वस्तु  का पहचान से क्या  संबंध  है - याने जड़ी बूटी या वनस्पतियों से उत्तराखंड की पहचान से क्या संबंध  है।  क्या यह जुड़ाव वास्तव में सशक्त छवि प्रदान कर  सकता है ? जड़ी बूटी स्वास्थ्य से संबंधित हैं. इसीलिए  जड़ी बूटी  उत्तराखंड छवि हेतु एक सकारात्मक माध्यम है और यह माध्यम धार्मिक माध्यम के साथ अवश्य ही  खाता है। 
वस्तु का  जीवन व इतिहास से संबंध - वास्तु का मानव जीवन के साथ संबंध भी छवि संवर्धन को प्रभावित करता है। हिमालय में मानव हितैसी जड़ी -बूटियां मिलती हैं जैसी छवि प्राचीन काल से ही है अत: जड़ी बूटी को माध्यम बनाकर छवि वर्धन उत्तराखंड के लिए हितकारी है। 
  शिवा नंद आश्रम , गुरुकुल कांगड़ी , पंतजलि आश्रम , अमृतधारा द्वारा निर्मित वस्तुएं उत्तराखंड के पर्यटन वृद्धि में  सहायक कारक व माध्यम हैं।
                  वनस्पति जनित औषधि विज्ञान व व्यापार को प्रश्रय 
  
उत्तराखंड के समाज को वनस्पति जनित औषधि विज्ञान व व्यापार को सभी तरह से परिश्रय देना चाहिए।  उत्तराखंड में ऐसे निर्णय लिए जायं कि सभी लोग उत्तराखंड को आयुर्वैदिक समझने लगे।  यह मान  चाहिए कि उत्तराखंड को आयुर्वैदिक धरती बनाने से  पर्यटन व निर्यात में वृद्धि होगी । 
  
उत्तराखंड के समाज को औषधीय वनस्पति उत्पादन , वनस्पति उत्पादन , वनस्पति का औषधीकरण , वनस्पति एवं औषधियों का विपणन आदि की योजनाओं को साकार करना चाहिए। 
  

Copyright @ Bhishma Kukreti 25  /1/2014 

Contact ID bckukreti@gmail.com

Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों मेंकोटद्वार गढ़वाल 



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