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Monday, November 25, 2013

ग्रामीण उत्तराखंड आर्थिक विकास की मूलभूत कमजोरियां

भीष्म कुकरेती 

      
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

              जख जावो तख छ्वीं लगदन बल पहाडुं मा विकास हूण चयेंद , गांउ विकास हूण चयेंद पण छ्वीं लगैक अर दौड़ भाग करिक  बि कुछ नि ह्वै। 
                   सबसे खतरनाक तथ्य या च कि उत्तराखंड मा बदलाव आयि पण विकास नि ह्वे।  जन कि उदाहरण दिए जांद कि उत्तराखंड बणणो बाद देहरादूनम इथगा बदलाव ह्वे पण विकास  नि ह्वे। 
पौड़ी या पहाड़ी इलाकौं का अन्य छुट छुट बजारों मा बदलाव भौत ह्वे,(जन कि सरकारि परमिट  से शराब की  दुकान खुलण  या दुकान्युंम अब रोज मटन उपलब्ध च)  पण विकास कतै नि ह्वे। 
                      उपभोक्ता वस्तु खपत आर्थिक विकास कु  एक महत्वपूर्ण चिन्ह च। ग्रामीण क्षेत्र मा दुकान बि बढ़िन अर उपभोक्ता वस्तुं खपत मा कई गुणा वृद्धि भि  ह्वे पण सोचनीय स्थिति या च कि उपभोक्ता वस्तुउं  खपत ग्रामीण आय /इनकम वृद्धि का कारण नि बढ़ बलकणम कै हैंक भौगोलिक  क्षेत्र मा इनकम बढ़ त ग्रामीण उत्तराखंड (पहाडुं ) मा उपभोक्ता वस्तुं खपत बढ़। 
                    ग्रामीण उत्तराखंड याने पहाडुं मा बदलाव अवश्य आइ पण रोजगार की हालत नि सुधर। 
            ग्रामीण उत्तराखंड याने पहाडुं मा शिक्षा मा बढ़ोतरी अवश्य ह्वे पण दुखद आश्चर्य च कि शिक्षित युवा की ग्रामीण आर्थिक विकास मा क्वी बि भागीदारी नई च किलैकि पढ्यु -लिख्युं युवा आज बि पलायन करणु च।  जै क्षेत्र मा युवा विकास मा भागीदारी नि निभाल उख आर्थिक विकास कनकै ह्वे सकुद ? 
                      ग्रामीण उत्तराखंड मा पाणि -बिजली की उपलब्ध स्थिति मा भारी वृद्धि ह्वे पण  रुण या च, दुःख या च , चिंता या च कि उत्पादनशीलता मा उथगा ही  गिरावट आयी। 
             ग्रामीण पहाड़ों मा कृषि मा भारी गिरावट आयी। कृषि कार्य मा उपलब्ध मानव शक्ति खाली ह्वे गे। यांक भरपाई वास्ता कृषि कार्यकर्ताओं तैं मनरेगा आदि से रोजगार उपलब्ध बि ह्वेन पण कृषि कार्य खतम हूण से ज्वा जनानी शक्ति खाली ह्वे छे  वीं जनानी शक्ति वास्ता इन कार्यों का उत्पादक क्षेत्र नि मील कि स्त्री शक्ति उत्पादकता बढ़ावो।  आस्चर्य या च कि सरकारी प्रयत्न "स्त्री रोजगार व वै से उत्पादनशीलता वृद्धि " का बारा मा बौहड़ पड्यु च। 
                        ग्रामीण उत्तराखंड की  विशेष भौगौलिक , सामजिक स्थिति छन अर जब कृषि विकासौ तैं वैकल्पिक विचारधारा चयाणि च तो भी उत्तराखंड नेतृत्व पारम्परिक विचारधारा या विकास मॉडल से ग्रामीण उत्तराखंड विकास चाणु च तो ग्रामीण उत्तराखंड विकास एक दिवा स्वप्न ही सिद्ध होलु। 
                     सड़क परिवहन विकास का सुचना चिन्ह च।  पहाडुं मा मोटर सड़क ऐन पण यूं मोटर सड़कुंन उत्पादन नि बढ़ाई ,  यूं मोटर सड़कुंन निर्यात नि बढ़ाई बलकण मा   यूं मोटर सड़कुंन आयात बढ़ाणम ही योगदान दे।  
                    पहाडुं मा सड़क बणिन पण वा से उत्तराखंड मा रोजगार की समस्या जख्या -तखी रै किलैकि रोड बिल्डिंग मा मजदूर भैर प्रदेस का छन। 
                        पर्यटन उद्यम विकास से स्थानीय कृषि उत्पाद ,फल -फूल उत्पाद , वैन उत्पाद , दुग्ध उत्पाद , कुटीर उद्यम , शिल्प उद्यम, सासंकृतिक उद्यम बढ़द।  सबसे आश्चर्य या च कि उत्तराखंड मा पर्यटन उद्यम मा अवश्य विकास ह्वे पण उत्तराखंड  पर्यटन से कृषि उत्पाद ,फल -फूल उत्पाद , वैन उत्पाद , दुग्ध उत्पाद , कुटीर उद्यम , शिल्प उद्यम, सासंकृतिक उद्यम नि बढ़।  जब पर्यटन से ग्रामीण उत्तराखंड मा कृषि उत्पाद ,फल -फूल उत्पाद , वैन उत्पाद , दुग्ध उत्पाद , कुटीर उद्यम , शिल्प उद्यम, सासंकृतिक उद्यम नि बढ़ तो साफ़ अर्थ च कि उत्तराखंड पर्यटन उद्योग ग्रामीण विकासउन्मोगामी कतई नी  च। 
                    टिहरी डाम  बौण पण दिखे जावो तो टिहरी डाम से उत्तराखंड की सिंचाई अर बिजली समस्या हल कतै  नि ह्वे। 
          उत्तराखंड मा इंडस्ट्रियल ग्रोथ की बड़ी बड़ी डींग हांके जांदन पण कै बि इंडस्ट्रियल सेक्टर का विकास या ग्रोथ से ग्रामीण उत्पादनशीलता मा रति भर बि वृद्धि नि ह्वे।  उलटां उत्तराखंड मा शहरीकरण मा भारी वृद्धि ह्वे। 
                यि कुछ सवाल छन, मसला छन , विचार छन जो बताणा छन कि उत्तराखंड नेतृत्व  प्रशासन मशीनरी ग्रामीण उत्तराखंड विकास तै वो महत्व नि दींदन जांक हकदार ग्रामीण उत्तराखंड च।  


Copyright@ Bhishma Kukreti  25/11/2013

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