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Tuesday, June 4, 2013

अतिथि तुम कब जाओगे?

ढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
 सौज सौज मा मजाक मसखरी 
   हौंस,चबोड़,चखन्यौ     
    सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं   

                                     अतिथि तुम कब जाओगे?
 
                          चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती (s = आधी  )

  अतिथियों ! ह्याँ बस कारो।  साल छै मैना कुण तुम अपण हवा पाणि बदलणो  ऐ छ्या अर तुमन  त इखाक ही  हवा पाणि बदली दे अर जाणों नाम इ नि लीणा छंवां। अब  दुन्या भराs लोग तुम तैं घर मालिक अर हम तैं पौण समजणा छन।
  हे अपसंस्कृति जनमाण वळि अतिथि ! अंग्रेजुं दगड तू  ऐ छे हमन समज एकाद सालम तु चलि जैलि पण   हम तै क्या पता छौ  कि तू   हमर खाण -पीणो - सीणो  -द्यो दिवता पुजणो, बुलणो ढंग, भाषा , लारा पैरणो,अदब दीणो रिवाज अदि जगा बैठी गे अर हमर अपणि संस्कृति जनमाण वळि ध्याणि कुज्याण कखि कचरा या गूवक ढेर मा बैठीं च  धौं। अर हम तैं पता   बि नी कि वा बचीं बि च कि ना अर बचीं च त कैं हाल मा च !   त्वै तैं त हमन रखैल जन द्वी चार दिनों जगा दे छे अर तू त घरवळि  हि बौणि गे।
 
  अब जन कि होंद इ च बल ग्युं दगड़ घूण अर दाळु दगड़ टेर बि ऐ अंग्रेजुं प्राशासनौ  दगड  लाल फीता  बि आयि। प्रशासन त अंग्रेजुं दगड़ सटगि ग्यायि अर हे लालफीताशाही नामौ पौण  तीन त इखि भारतम अड्डा इ नि जमै बलकणम अपुण मकड़जाळ ग्राम प्रधानो अर पटवार्युं बस्तौं तक फ़ैलै याल अर हमम ए लालफीताशाही मकड़जाळ तुड़णो क्वी तरीका नी च। हे  लालफीताशाही ! त्यरो मकड़जाळ तोड़णो बान हम रोज संविधान या बाइ लौजों (उप नियमों ) मा बदलाव करणा रौंदा पण ऊल्टा यु नयो नियम लालफीताशाही को नयो मकड़जाळ पैदा करी दींदो। अब त भैर देसाक विद्वान् बि मजाक करदन बल इंग्लिश ब्रौउट रेड टेपिज्म ऐंड इंडियन्स परफेक्टेड इट। पौण त द्वी तीन दिनों होंद तू त इख तीन सौ साल से हमर छत्ति मा हमर ही जमा कर्यां  पत्थर पिसणि छे।   

हे भ्रष्टाचार नामौ अतिथि ! ऐ त तू गेस्ट आर्टिस्ट तरां ऐ छौ पण अब त सरा फिल्मों हरेक सीन मा तू ही तू छायूँ छे। फिलम मा बिचारा हौर क्वी कलाकार हि नि दिखेणु च। अंग्रेजुं जमन मा हम भारतीयोन बि स्वाच कि जब ब्रिटिश लोग भारत तैं लुटणा इ छन त हम बि भारत तै लूटी लींदा अर तब हमन थ्वड़ा देरौ कुण त्वै भ्रस्टाचार तै गेस्ट अपीयरेंस का वास्ता बुलै छौ।  अर अब यी हाल छन कि गेस्टन (मेहमानन ) सरा कूड़ पर कब्जा करी आल अर होस्ट (घौरवाळ ) मेमानौ चाकरी बजाणु च।


हे  मेहमानों !  अबि भारत छोड़ो हमन कै  दिन तुमारो मुख पर म्वास ना गू -मूत लपोड़ि दे तो फिर हम फर मेमानो बेज्जती करणों अभियोग नि लगैन हाँ !
हे पौणो ! अबि बि बगत च सीधी तरां से जावो निथर कै दिन हमन तुम तै खुले आम जुत्याण शुरू करी दे तो हम फर तुम तुम तै जूत्याणो  भगार नि लगैन हाँ !
हे मेहमानों ! कै दिन गुस्सा मा हमन तुम तैं नंगी कौरिक रस्तों मा घसीटण शुरू करी दे तो हम पर अमानवीयता का अपराध नि लगैन  हाँ!
हे अतिथियों ! अबि बि चेति जावो कखि हमन तुम तैं बीच चौराहों पर फांसी दीण शुरू करी दे तो हम फर निर्दयी होणो लांछन नि लगैन  हाँ!
हे अतिथियों ! अब जावो ! निथर कै दिन हमन ल्वाड़ोन तुमारि  कुलि फ़ोड़ी दे तो फिर हम पर दोष नि लगैन हाँ ।
हे अतिथियों जावो ! अबि बि बगत च। कै दिन हमन थमाळि  कुलाडि  उठाइ दे तो हम फर जघन्य हत्याओं अपराध नि लगैन हाँ? 




Copyright @ Bhishma Kukreti  1/06/2013            
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

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