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प्रीत की रीत
बाळपन मा
एक थकुलि मा दगड़ी
छंछ्या सपोड्न्या
पिठ्याल्वटि का भै
एकदिन
प्यारप्रेम बिसरि जन्दिन
सिर्फ अपण हक़ का बाना
एकदिन
न्यार ह्वै जन्दिन
भाई -भाई
स्वारा ह्वै जन्दिन
भले ही
द्यखणा छा हम य
समाज की रीत
फ़िर्बि
न्यार ह्वैकि
राखो प्रीत
गाओ
प्यार -प्रेम का गीत
तब ही त होलि
अपण्यास की जीत
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