Home

Monday, April 8, 2013

प्रीत की रीत


बाळपन मा 
एक थकुलि मा दगड़ी 
छंछ्या सपोड्न्या 
 पिठ्याल्वटि का भै 
एकदिन 
प्यारप्रेम बिसरि जन्दिन 
सिर्फ अपण हक़ का बाना  
एकदिन 
न्यार ह्वै जन्दिन 
भाई -भाई 
स्वारा ह्वै जन्दिन 
भले ही 
द्यखणा छा हम य 
समाज की रीत 
फ़िर्बि 
न्यार ह्वैकि 
राखो प्रीत 
गाओ 
प्यार -प्रेम का गीत 
 तब ही त होलि 
अपण्यास  की जीत
    डॉ नरेन्द्र गौनियाल copyright.narendragauniyal@gmail.com

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments