उत्तराखंडी ई-पत्रिका
E-Magazine of Uttarakhand
Home
(Move to ...)
About Youg Uttarakhand
Home
▼
Wednesday, April 17, 2013
कुहासा एकदिन खुद ब खुद छंट जायेगा
सब्र करो एकदिन जरूर जालिम जहन्नुम में जायेगा .
रावण की लंका ढहने में भी तो बड़ा वक्त लगा था .
किसी का हक़ मारकर ये कबतक पेट भरेगा .
खुदा के दर पे देर हो सकती है पर अंधेर नहीं .
जुल्म की तारीफ तो होती रहेगी तबतक .
हलक में एक घूँट पड़ती रहेगी जबतक .
उछलने दो इन्हें ये बरसात के मेंढक हैं .
दो घाम पड़ते ही सब काफूर हो जायेंगे .
फ़िक्र न करो ये दस्तूर है दुनिया का .
कुछ दर्द तो सहन करना ही पड़ेगा .
जुल्मी के गले में ये खराश ना मामूली है .
समझ लो बस उल्टी गिनती शुरू हो गई .
जुल्म ख़तम होगा जुल्मी भी ख़तम होगा .
सुकून का नया सवेरा एकदिन जरूर आयेगा .
पतझड़ हटेगी फिर बसंत भी आयेगा .
कुहासा एकदिन खुद ब खुद छंट जायेगा .
Narendra Gauniyal
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments