एक गढ़वाळी देशभक्ति कविता
कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल
जितणि च जंग हमन
लड़णि च लडै हमन
भौत ह्वैगे
हमन अब नि सैणु
दुश्मनोंन अब नि रैणु
रैणु च हमन
मिलि जुली कि
मारि कि भजळला
दुश्मनों तै
चुनि-चुनि कि
अब तक भौत ह्वैगे
भौत ल्वे बोगिगे
अब न कबी इनु होलू
लुक्यां होला जु
कोणा-काणों मा
एक-एक तै
चटगौंला
एक-एक तै
भटगौंला
एक-एक तै
कटगौंला
तुमारा सौं
देश का बीरो
तुमारी शहादत
बेकार नि जालि
मौका मिलण पर
देश का बाना
हमरि बि
जिंदगी काम आलि
देश कि आन
देश कि बान
देश कि शान
कम नि हूणि द्यूंला
जब आलि घड़ी
जब होलि जरूरत
देश कि खातिर
हम बि
कुर्वान ह्वै जौंला
डॉ नरेन्द्र गौनियाल सर्वाधिकार सुरक्षित narendragauniyal@gmail.com
कवि-डॉ नरेन्द्र गौनियाल
जितणि च जंग हमन
लड़णि च लडै हमन
भौत ह्वैगे
हमन अब नि सैणु
दुश्मनोंन अब नि रैणु
रैणु च हमन
मिलि जुली कि
मारि कि भजळला
दुश्मनों तै
चुनि-चुनि कि
अब तक भौत ह्वैगे
भौत ल्वे बोगिगे
अब न कबी इनु होलू
लुक्यां होला जु
कोणा-काणों मा
एक-एक तै
चटगौंला
एक-एक तै
भटगौंला
एक-एक तै
कटगौंला
तुमारा सौं
देश का बीरो
तुमारी शहादत
बेकार नि जालि
मौका मिलण पर
देश का बाना
हमरि बि
जिंदगी काम आलि
देश कि आन
देश कि बान
देश कि शान
कम नि हूणि द्यूंला
जब आलि घड़ी
जब होलि जरूरत
देश कि खातिर
हम बि
कुर्वान ह्वै जौंला
डॉ नरेन्द्र गौनियाल सर्वाधिकार सुरक्षित narendragauniyal@gmail.com

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