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Sunday, September 16, 2012

धाद

जागि जा 
उठि जा 
रात पुरेगे 
बियण्या ऐगे
उज्यल़ू ह्वैगे
जु उठिगे 
वैन पै 
जु सियूँ रैगे 
वैन ख्वै 
सियाँ रैकि 
सिर्फ 
स्वीणा नि द्याखा  
जागि जा
उठि जा 
अपणु हक़ ल्या
हैंका हक़ द्या

बुरा कि ना 
भला कि हाँ
अत्याचार कु विरोध 
सदाचार कु समर्थन 
संगठन कि ताकत 
अभ्यास कि योग्यता 
लगन कि क्षमता 
एकटक ध्यान कि सफलता 

लगि जा 
काम-धंधा पर
उठि जा 
जागि जा
यी च रैबार
यी च फ़रियाद 
यी च सौगात 
यी च धाद 
  डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित ..narendragauniyal@gmail.com

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