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Monday, July 16, 2012

सोचो त जरा

पहाड़ की पीड़ा ,
का उठायुं बीड़ा ,
जंगल  की आग ,
पहाड़  कु भाग ,
शर्पियों  कु रोग 
बेटी बुआरी कु जोग 
पहाड़ मा सूखा  
सिख्नैयी  छन सब धोखा 
पेड़ों ते बचावो 
अप्रि सोच सुधारो 
नौनी ते पढाओ 
जीवन वींक सुधारो 
नौनो  कु मेहनत 
घर कु बरकत 
पुन्ग्रियुं की हरयाली 
लगदी बड़ी बिगरियाली 
दहेज़ कु कलंक 
देवभूमि भैर पटक 
अप्रि रोजी कु खातिर 
बाँझ न करो अपरी भितर 
देवी - देवता नि मंगदा बलि 
हुन्द हर जीव ते प्राण  प्रिय 
साक्षरता  कु अभियान 
उन्नति कु साधन 
आव सोचो त जरा 
देवभूमि मंगने च क्रांति धारा !
 
SUNITA LAKHERA

3 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति दी बहुत बहुत बधाई हमारी शुभकामनायें
    पहाड़ की पीड़ा ,
    का उठायुं बीड़ा ,
    जंगल की आग ,
    पहाड़ कु भाग ,
    शर्पियों कु रोग
    बेटी बुआरी कु जोग
    पहाड़ मा सूखा
    सिख्नैयी छन सब धोखा
    पेड़ों ते बचावो
    अप्रि सोच सुधारो
    नौनी ते पढाओ

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  2. सोचना तो पड़ेगा ... सुंदर भाव

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  3. नौनी ते पढाओ
    जीवन वींक सुधारो
    नौनो कु मेहनत
    घर कु बरकत ....

    साक्षरता कु अभियान
    उन्नति कु साधन
    आव सोचो त जरा
    देवभूमि मंगने च क्रांति धारा !

    बिल्कुल सच्ची बोली आपन आज देवभूमि क्रांति मंगणी च!

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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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