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Sunday, July 29, 2012

ये देश का सपूतो


 कवि- डॉ नरेन्द्र गौनियाल
ये देश का सपूतो,तुम तै प्रणाम करदु.
तुम्हरा खुट्यूं मा बीरो,अपणु मुंड मि धरदु.
देश का खातिर ही,तुमन गवैंयी प्राण.
तुम्हरा त्याग से ही,आजादी हमन जाण.
सूळी पर लट्गी ग्यो,हंशी-ख़ुशी से तुम.
तुम्हरा बलिदान से,आजाद छौ हुयाँ हम.
धन हे लक्ष्मीबाई,धन रे भगत सिंह.
दत्त,शेखर,गुरु तुम,धन रे तू बिस्मिल.
धन-धन हे बोस त्वैकू,धन-धन महात्मा जी.
धन-धन पटेल-नेरु,धन-धन सभी सपूतो.
धन-धन हे देव सुमन,धन-धन भंडारी माधो.
धन-धन तीलू रौतेली,धन चन्द्र सिंह गढ़वाली.
धन-धन पुखर्याळ गीता,धन-धन हे शीशराम.
धन-धन हे थानी नेता,धन गुजडू का सपूतो.
कतगौंन खाई मार,हथ-खुटा भली कै तोडा.
कतगौं कि ह्वैयी कुर्की,घर-बार तौन छोड़ा.
कतगौं कि खुचिली रीती,कतगों कि मांग सूनी.
कतगों तै लगी फांसी,गोल्योंन कतगे भूनी.
चालाक फिरंगियों तै,तुमन खदेड़ी द्याई.
तन-मन अर धन लगैकी,आजादी तुमन द्याई.
आजादी कु इतिहास,ल्वे से तुमन लिख्योंऊ.
अजर-अमर ही रालो,तुम्हरो यु त्याग बीरो.
        डॉ नरेन्द्र गौनियाल..सर्वाधिकार सुरक्षित.. narendragauniyal@gmail.com

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