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Tuesday, April 3, 2012

Satirical Garhwali Poem हिसाब

*********हिसाब **********
(Satirical Garhwali Poem , गढ़वाली  व्यंग्यात्मक कविता, )
 
डॉ नरेन्द्र गौनियाल

अपणि टीबी  की मरीज
अंत-पंत हुयीं घरवळि  बान 
द्वी दिन की दवै खुण
श्रीमानजी अपनी खीसी  टट्वळदन हाथ पर अयूं
सौ कु नोट अर एक दस रुपया
हैंका तरफ खसगेकी
सिर्फ दस रुपया देकी ब्व्ल्दीन
बाकी हैंका दिन
मिन बोली-
भैजी ! तुम्हारा हाथ मा त यू
एक सौ दस रुपया हौरि छन
भैजी ब्वल्दीन
आज मेरा समधी अर जवैं छन अयाँ  
वींकी खबर-सार ल्हीणों
तौन एक बोतल त जरूरी ही पीण
अर यो बचणू च सिर्फ एक दस कु नोट 
त एक नमकीन की थैली बि लीण ......       
          डॉ नरेन्द्र गौनियाल ...
Copyright@ Dr Narendra Gauniyal

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