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Sunday, December 25, 2011

Voting per ek Bhaut Sateek Kavita


नेगी जी
सम्नैन!
विजय भाई कि एक सुन्दर कविता भेजणु छौं 
 
बिचरा पोड़
 
विजय कुमार मधुर


वो ब्व्ल्दन
सलाम ठोकी
धाद मारि
भारे !
इबरी दां
चुनौमा
पढ़यां  लिख्याँ
आदिम तैं ही
दिंया बोट !
मतलब साफ च
पढ़यां लिख्याँ
पोड़ नि छन
जु डटयाँ रंदी
अपणी जगा
थामिकी रख्दन
बढा बढा
डांडा  कांठा
रौला  गदना
बढा  बढा गौं
बढ़ी  बढ़ी मौ !
सैन्त्दा छन
ड़ाला ब्वाटा
पुंगडा पटला
कुकर बिरला
गोर  बखरा
घ्वीड काखड
रिख बाघ  !
कीड़ा - मक्वडौं
बिषला गुरौं तैं बि
दिन्दन ओट
कबि कैमा
नि मंग्दन बोट !
कॉपी राईट @ २०११ विजय मधुर 

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