Home

Wednesday, September 29, 2010

टेमरू कू लठ्ठा

अति प्यारू होन्दु छ,
नरसिंग देवता तैं,
जोगी सन्यास्यौं कू,
बाठ हिटण वाळौं कू,
हर घर मा रखदा छन,
हमारा पहाड़ मा,
नरसिंग देवता का,
मंदिर मंडुला मा,
झोळी का दगड़ा.

बद्री-केदार धाम मा,
चढौन्दा छन जात्री,
प्रसाद का रूप मा,
टेमरू की प्यारी पत्ती,
धोन्दा छन दांत,
टेमरू की डण्डिन,
ज्व दांत का खातिर,
तंत दवै भि छ.

आज येका अस्तित्व तैं,
पहाड़ मा खतरा पैदा ह्वैगी,
कथ्गा काम कू छ टेमरू,
धीरू-धीरू आज ख्वैगी.

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं पहाड़ी फोरम, यंग उत्तराखंड, मेरा पहाड़ पर प्रकाशित दिनांक: १.७.२०१०)

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments