Home

Monday, February 22, 2010

"फूल्याँ फूल"

फूल्युं छै तू यनु न भूल,
त्वैन सदानि यनु नि राण,
भौरां त्वै फर रिटणा छन,
ऋतु बसंतन चली जाण.

जवानी होन्दी चार दिन की,
फिर ह्वै जांदी अँधेरी रात,
त्वैन सदानि खिल्युं नि राण,
माण ली तू मेरी बात.

खिच्च हैन्सणि छैं तू अबरी,
क्वी त्वे तैं तोड़ी माळा बणालु ,
तेरा भाग मा कुजाणि क्या छ?
न जाणी त्वे तैं कख चढ़ालु.

रंग रूप हेरिक तेरु,
मनखी अफु जांदा भूल,
चार दिन की होन्दी चांदनी,
"फूल्याँ फूल" यनु न भूल.

रचनाकार एवं छायाकार : जगमोहन सिंह जयाड़ा "ज़िग्यांसु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित १८.२.२०१०)
ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी, टिहरी गढ़वाल

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments