Home

Thursday, August 6, 2009

प्यारी ब्वै का पास

ऊंचि-ऊंचि डांड्यौं मा हरयुं ह्वैगि घास,
टक्क लगिं मेरी कब जौलु मैं,
प्यारी ब्वै का पास....

घुगति घुराणी मन मेरु उदास,
गौळा मा बाडुळि लगणी,
कब जौलु मैं, प्यारी ब्वै का पास....

रैबार अयुँ छ ब्वैकु,
नि होंणु त्वैन उदास,
जब आला त्यौहार,
बुलौलु त्वैतैं पास.....

कब आला त्यौहार,
लग्युं छौं सास,
रंगमत ह्वैक जौलु,
प्यारी ब्वै का पास.....

ऊंचि-ऊंचि डांड्यौं मा हरयुं ह्वैगि घास,
टक्क लगिं मेरी कब जौलु मैं,
प्यारी ब्वै का पास....

(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि,लेखक की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
4.8.2009

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments