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Thursday, July 30, 2009

हंसमुख चेहरा



कुछ शर्माती कुछ सकुचाती
जब आती बाहर वो नहाकर
मन ही मन कुछ कहती वो
बिखरे बालों को सुलझाकर

झट-झट झटकार कर वो
बूंदे गिरती बालों से पल-पल
दिखती वो बूंदे यूँ मुझको
ज्यों झर-झर झरता झरने का जल

तिरछी नजर घुमाती वो
होंठों पर हल्की मुस्कान लिए हुए
कभी एकटक होकर निहारती वो
बिना पलकों को झपकाए हुए

'हंसमुख चेहरा' दिखता उसका
वो सूरत दिखती भली-भली
कभी दिखती खिली पुष्प सी
कभी दिखती अधखिली कली

महकता पुष्प सा यौवन उसका
नाजुक कली सी उसकी सुकोमल गात
वो बसंत की झकझोर डाली
जिसके दिखते हरे-भरे पात

1 comment:

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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