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Tuesday, February 3, 2009

उत्तराखंडी कबीर श्री भजन " सिंह "

उत्तराखंडी कबीर श्री भजन " सिंह "
सिंह की रचनाओं
का कुछ खास अंश


(यु साल हम 'खुदेड़ बेटी' जना लोकप्रिय गीत का रचनाकार
स्व. भजन सिंह 'सिंह' जी का भाताब्दी वशर का रूप मा
मनौणा छा। प्रस्तुत छन मा वूंकी रचनाओं का कुछ खास
अंश )


कविता’-सिंह सतसई

कविता छन्दोवद्ध च, नाद-ब्रह्म संगीत।
कविता अर संगीत की, विदित विश्व मा प्रीत

जब क्वी कविता छप्द तो, कर्दन बडै अनेक
छप्द च कविता-ग्रन्थ तो, ग्राहम मिल्द न एक।

छया प्रशंसक बहुत म्यरा कविता प्रेमी दिल
बिल मां लुकिने भेजि मिन, जब किताब को बिल।

नीति सूक्त

जब तक छौ मनखी बच्यूं, वेका निकट नि जाण
जब मरि-मिटिगे वे को अब पिण्ड पूजि क्या पाण

गलती उं से होंद कभी जो कर्दन कुछ काम
ऊंसे गलती होण क्या जौ कुच काम हराम।

सोचा भलु बोला भलु, करा सदा काम
च मन वच कर्म तो जप-तप व्यर्थ तमाम।

बढ़पन बैर-विरोध, बैर-विरोध तमाम
होन्द पे्रम से सफल पर ऽ शीघ्र कठिन भी काम

एक-एक से छन बण्यां, कुटुम व देश अनेक
किलै नि सुधरे देश यदि, सुधरो इख हर एक।

सौजन्य से चिट्टी पत्री

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