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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, January 4, 2018

ग्रामीण स्वास्थ्य कुण क्रान्ति बीज

Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )

 पत्रकार , बुद्धिजीवी व साहित्यकार अवश्य पढ़ें (हाथ जोड़ प्रार्थना )
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ग्रामीण  स्वास्थ्य कुण  क्रान्ति बीज 
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 हौंस ही हौंस मा  बड़ी बात  :::   भीष्म कुकरेती   

स्थान -पौड़ी चीफ मेडिकल ओफिसर , CMO ऑफिस , CMO कैबिन से भैर , CMO क पीए कंडवाल अर दूर ग्रामीण अस्पतालौ  स्वीपर मध्य वीडिओ कॉनफेरेन्सिंग से बीस मिनट  से जोर जोर की वार्तालाप चलणी छे।  CMO अपण कैबिन से भैर आंद ,
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CMO - क्या मिस्टर कंडवाल ! बीस मिनट से तुम वीडिओ कॉनफेरेन्स मा कैक दगड़ काईं काईं करणा छा ?
कंडवाल - सर गढ़पुर गांवक अस्पतालौ स्वीपर बुलणु च बल तुम से वीडिओ कॉनफेरेन्स करावो।  इन लगणु जन वेकी झाड़ा बंद हुईं च। 
CMO - ओके लेट मी टाक विद द स्वीपर।  स्वीपर जाति सूचक शब्द त नी च ना ?
कंडवाल - ना जी ना ।  स्वीपर जाति सूचक शब्द नी च। 
CMO  (कम्प्यूटर का समिण आंद ) - अच्छा मिस्टर ! मि CMO छौं. नाम बताओ। 
स्वीपर -जी झल्ला। वो क्या ह्वाइ जब मी पर झल्ल चौड़ जांद त मि अपण बुबा कि त क्या साब लोगुं बि नि सुणदु त बुबान स्कूलम बि झल्ला नाम रख दे। 
CMO -ओके  मिस्टर झल्ला ! क्या समस्या च ? 
झल्ला - साब जी मेरी बीस साल की मेडिकल प्रैक्टिस मा मीन इन केस नि देखि। 
CMO - व्हट ? सफाई कर्मचारी अर बीस साल की मेडिकल प्रैक्टिस ? 
झल्ला - साब जी खौंळेणौ स्वांग नि कारो।  गढ़वाल का ग्रामीण अस्पताल सिर्फ अर सिर्फ हम स्वीपरों भरवस पर चलणा छन।  ये अस्पताल की इमारत अर मि इ स्थिर छंवां बाकी सब अस्थिर।
CMO - हां पर तुमर अस्प्ताल मा त डाक्टर , कम्पाउंडर अर असिस्टिंग कम्पाउंडर भिजे  गे छा। 
झल्ला - जी डाक्टर साब प्रोबेशन पर छन , कम्पाउंडर साब परमोसन पर ऐ छा अर असिस्टिंग कम्पाउंडर ब्लात्कारौ पनिशमेंट पर इख भिजे गे छा।  तिनि अपण ट्रान्सफरो जुगाड़ मा ड्याराडूण पड्यां छन। 
CMO - ओके ओके।  तेरी समस्या क्या च।  क्या च मेडिकल केस ?
झल्ला - मि जरा कम्प्यूटरौ कैमरा मरीजौ तरफ करदो।  त आप बि समिज जैल्या कि मि किलै बुलणु छौं बल यु अजीब केस च। 
CMO - दिखाओ। 
झल्ला - ल्या  द्याखो। मरीजक पैरों छालक , हथकुळि का टेम्प्रेचर शरीर, कखर्वळि ,  गिच्चक टेम्प्रेचर से बि अधिक च.  
CMO - जरा हार्ट बीट तपास करदि 
झल्ला  (स्टेथोस्कोप से तपास करद )- जी नॉर्मल से थोड़ा हि अधिक।
CMO - जरा ब्लड प्रेसर चेक करदि 
झल्ला  (ब्लड प्रेसर चेक करद )- नॉर्मल हि  च थोड़ा सि अधिक पर कुछ अधिक नी च। 
CMO - जीब दिखादि 
झल्ला  (मरीज की जीब कैमरा समिण करद )- आश्चर्य या च बुखार मा जीव पीली हूण चयेणी छे त एकि जीब काळी पड़ी च।  तबि त मीन बोली कि मेरी मेडिकल प्रैक्टिस मा  ... 
CMO - एक मिनट चुप रौ।  मरीजक  आँख दिखा। 
झल्ला (कैमरा आँख पर करद  ) - आँखुं रंग नॉर्मल नि छन। 
CMO - एक मिनट भै।  रेटिना टेलेस्कोप लगा अर टेलेस्कोप तै कैमरा समिण ला 
झल्ला  (जन CMO बुल्द उनि  करद )- जी कौर याल।
CMO - ओहो।  ठीक च। ठीक च।  हाहाहा ! यूरेका यूरेका ! क्रांति क्रान्ति ! ग्रामीण स्वास्थ्य मा क्रान्ति बीज !
झल्ला - साब क्या ह्वाइ ? आप तो इन चिल्लाणा छा जन भूत लग गे हो । 
CMO - अरे झल्ला राम जी।  अब तो पहाड़ी गाँवों मा स्वास्थ्य क्रान्ति ऐ जाली।  झल्ला राम जी तुम को शत शत दंडवत प्रणाम। 
झल्ला -  स्वीपर तैं दंडवत प्रणाम ?
CMO - हाँ तीन ग्रामीण स्वास्थ्य मा सुधार का क्रान्ति बीज जि ब्वे देन। 
झल्ला -ग्रामीण स्वास्थ्य मा सुधार का क्रान्ति बीज ?
CMO - हाँ।  चूँकि डाक्टर गांवुं  माँ प्रैक्टिस नि करण चाणा छन।  पर यदि प्रत्येक ग्रामीण हॉस्पिटल वीडिओ कॉन्फेरेसिंग व वीडिओ फस्ट एड किट से सीधा जिला अस्पताल या एम्स  ऋषिकेश से जुड़े जावन तो आधा से अधिक मरीजों दवा तो वीडिओ कॉनफेरेन्स से ह्वैइ सकद कि ना ?
झल्ला - साब यु  वीडिओ फस्ट एड किट क्या हूंद ?
CMO - डिजिटल स्टेथोस्कोप जु मरीज का हाल वीडिओ  कॉन्फ्रेंस से बताइ सकद।   डिजिटल स्टेथोस्कोप मा  टेम्प्रेचर , हार्ट बीट , ब्लड प्रेसर चेक करणो डिवाइस ,आइ चेकिंग डिवाइस , त्वचा चेक करणो डिवाइस , जीव , नाक अदि चेक करणो डिवाइस , घाव चेक करणो डिवाइस , आदि आदि हूंदन ।  गांवक अस्पताल मा कम्प्यूटर  मरीज तैं चेक  करे जाल  अर दूर शहरम डॉक्टर तै मरीज का सब मेडिकल डाटा मिल जाल अर डाक्टर दवा बतै द्याल।   
झल्ला - अरे साब यो तो एक महान क्रान्ति ह्वे जाली। 
CMO - हां  मि अबि मुख्यमंत्री जी से मीटिंग फिक्स करद अर तब तक मीन चैन नि लीण जब तक उत्तराखंड मा  ग्रामीण अस्पताल तै ईएमएस ऋषिकेश या जिला अस्पताल  से वीडिओ कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा नि जुड़े जावो। 
झल्ला - साब आप तैं यश मिले। 
CMO - अरे मि जान लड़ै द्योलु।  ओके थैंक यू  वेरी मच।  
झल्ला -साब ? मीन जांकुण  वीडिओ कॉन्फ्रेंस कार वो काम तो पूर  ह्वै इ नी च।
CMO - अरे  हाँ। तैन भलती सि  दारु पे दे। तै तैं लिम्बु मा लूण पिलाओ।  उलटी कराओ अदा घंटा मा ठीक ह्वे जालो। 
झल्ला -क्रांतिकारी CMO की जय हो , जय हो।  भगवान आप तैं लम्बी उमर  देन । 

5/1 / 2018, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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हुदबुद, हुदहुद - Common Hoopoe (Upupa epops )

गढ़वाल की चिड़ियायें - भाग -42 

( Birds of  Garhwal; Birding and Birds of Garhwal, Uttarakhand, Himalaya -----42  ) 
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आलेख : भीष्म कुकरेती , M.Sc.; D.M.S.M; D.E.I.M.
31 सैनिमित्र लम्बा हुदबुद अपनी आवाज 'बुद बुद ' के लिए तो प्रसिद्ध है ही अपनी पंखेदार कलंगी /शिखा के लिए भी प्रसिद्ध है।  यह गर्मियों का प्रवासी पक्षी है।  मटमैला नारंगी  रंग का हुदबुद के पंख काले व सफेद होते हैं। हुदबुद की चोंच लम्बी व टेढ़ी होती है। खुले में  गाँवों में पाया जाने वाला  हुदबुद  कीड़े , चिटकुट खाता है पर मेंढक , सर्प वर्गीय जंतुओं से परहेज नहीं करता। 

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सर्वाधिकार @सुरक्षित , लेखक व भौगोलिक अन्वेषक  



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Surai (Danda Thor), Royal’s spurge: A Plant used for Protecting from Evil Souls

Plant Myths and Traditions in Uttarakhand (Himalaya) - 4
By: Bhishma Kukreti, M.Sc. (Botany) (Mythology Research Scholar)

  Botanical Name- Euphorbia rouliana
Hindi name – Danda Thor
Sanskrit Name- Nanda
    Surai or Danda Thor is common cactus of Uttarakhand. Surai juice is used in ear secretion (very rarely).
People also use latex of Surai as fish toxin in fishing.
   People of Uttarakhand use Surai more for protecting evil soul, diseases etc. People grow Surai on flower pot and keep Surai tree of house roof.
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Copyright@ Bhishma KukretiMumbai 2017
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पूस माने ढांगू मा गिंदी म्याळा तयारी

सौज सौज मा समळौण   :::   भीष्म कुकरेती   
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हमर गाँव ऋषिकेश -गूमखाळ -कोटद्वार सड़क पर ऋषिकेश से 60 किलोमीटर अर कोटद्वार से 65 -67 किलोमीटर पर च।  अच्काल पूसौ मैना च त पुरण जमन मा कुमुहर्तौ  मैना हूण से व खेती काम काज नि हूण से कुछ इन काम नि हूंद छौ जखमा मर्द मनिखों जरवत ह्वा।  गंगासलाण मा तब पूसौ सेक क दिन हिंगोड़  (हॉकी जन ) अर मकरैणी  दिन हथगिंदी (रग्बी जन ) खिलणो रिवाज छौ।  डाडामंडी  ; दिख्यत ; थलनदी , कटघर हथगिंदि का बड़ा केंद्र छा अर इख मकरैणी दिन म्याळा बि लगद छौ जख बिगरैली बांद गोबिंदा चरखी मा बैठदि छे। अर हौर लोक 'चरखी मा नि बैठ गोबिंदा  ' गीत लगांद छा।  
    हां  त मि छौ छ्वीं लगाणु बल पूस माने ये मैना जनमजाति मर्द कौम मुख्य काम से दूर हूणों बहाना खुज्यांदी छै।  पूसम हमर जिना हिंगोड़ अर हथगिंदी प्रैक्टिसौ मैना हूंद थौ। अब पूस क्रिकेट प्रैक्टिसौ मैना ह्वे गे।  हॉकी मा ओलम्पिक मा पिछड़ण से हमर गंगासलाणम बि क्रिकेटन हिंगोड़ की विकेट उखाड़ दे।  अब हिंगोड़ अर हथगिंदी इतिहासुं किताब , लोककथाओं अर फेसबुक मा हि मिल्दी।  
  हिंगोड़ खिलणो स्टिक जरूरी हूंद अर प्राकृतिक रूप से हॉकी स्टिक केवल बांस से ही मिल सकद।  हमर गां बांसौ मामला मा इनि कमजोर च  जन नेता ईमानदारी मामला मा निहंग छन ।  तीन मुंडितुं बांस छौ किन्तु इथगा अधिक नि छा कि बच्चों तै हिंगोड़ निर्माण की इजाजत मिल जावो।  द्वी चार बांस की हिंगोड़ छे गां मा किन्तु यी हिंगोड़ केवल सेकौ दिन ही गांवक हुणत्याळ ध्यानचंदुं तै दिए जांद छौ। 
     आवश्यकता आविष्कार की जननी या नेसेसिटी इज द मदर ऑफ इन्वेंसन से अधिक गरीबी आविष्कार की जननी हूंद।  त बांसौ मामला मा गरीब गाँव का बच्चा हिंगोड़ निर्माण मा इन्नोवेटिव तरीका अपण्यांद था।    
     तब कखि बि हॉकी स्टिक बजारम नि मिल्दी छे।  हरेक अपण बच्चा तैं ध्यानचंद बणानो आतुर छौ किन्तु क्वी बि हॉकी स्टिक पर इन्वेस्टमेंट करणो तयार नि छौ इक तक कि खेल मंत्रालय बि।  त हॉकी स्टिक स्व निर्मित ही हूंदी छे।  मंगसिर माने हिंगोड़ (हॉकी स्टिक ) खुज्याणो मैना।  चार दर्जा से लेकि दस दर्जा का युवा मंगसिरम महान खोजी बण जांद छौ।  ये मैना बालक -युवा जंगळ का हरेक तूंग , गींठी , बांज , इक तलक कि बसिंगौ बुट्या सर्वेक्षण करदा मिलदा छा।  फिर बड़ी मुश्किलात से टेड़ी बांगी हिंगोड़ मिल ही जांदी छे।  
 गिंदी त झुल्ला की बणदी छे त दादा का जमानों का झुल्लाओं बळी दिए जांद छे।  गिंदी बणाण  सौंग छे तो पांच छै गिंदी गां मा ह्वै इ जांद छा। 
    पूसम हम कबि बि कखिम बि हिंगोड़ अर फिर वीं इ गिंदीन हथगिंदी बि खिल्दा छा। चौक से लेकि खाली पड़्यां खेत हमर ओलम्पिक ग्राउंड  हूंद था। नियम हम तब बि नि जाणदा छा ना ही आज बि हम संवैधानिक नियम जणदा तो बस हम खिल्दा छा बस खिल्दा ही छा। 
      बड़ा बड़ा बैक जौन सेकक दिन सौड़ हिंगोड़ अर हथगिंदी खिलण छे और मकरैणी दिन कटघरम हथगिंदी खिलण छौ वो सेक से केवल चार या पांच दिन पैल ही प्रैक्टिस मा आंद छा।  
    तब हमर हरेक त्यौहार , हरेक गीत अर हरेक खेल सीजन का हिसाब से हूंद छा अब त हर शहर अर गां मा हर सीजन मा केवल क्रिक्यटाण ही फैली रौंद।  

समाचार पत्रों को सजग व सचेत होकर पढ़ना

Preparation for IAS Exam, UPSC exams 
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समाचार पत्रों को सजग व सचेत होकर पढ़ना 

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गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )
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IAS/IRS/IFS/IPS  कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -52 
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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
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 जब परीक्षार्थी IAS परीक्षा उद्देश्य हेतु समाचार पत्र पढ़ते हहों  तो उन्हें समाचार पत्र सजग , सचेत व गंभीर होकर पढ़ना चाहिए।  
  वास्तव में परीक्षार्थी को समाचार पत्र समाचार हेतु नहीं पढ़ना चाहिए अपितु अध्ययन हेतु पढ़ना चाहिए और विशेष जैसे सम्पादकीय  को समझने के उद्देश्य से ही पढ़ना चाहिए।  
समाचार पत्र अध्ययन हेतु एक नॉट बुक अवश्य बनानी चाहिए और उसमे रोज नोट्स लिखना चाहिए 
समाचार पत्रों के विशेष लेखों की कटिंग कर अलग फ़ाइल बनानी ही चाहिए 
यदि कोई समाचार में संदर्भ आता है उस संदर्भ के बारे में तुरंत जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए 
 स्थान संबंधी समाचार के बाद स्थान की जानकारी आवश्यक है 
    प्रत्येक विषय के नॉट व कटिंग आवश्यक नहीं होती अपितु विशेष व महत्वपूर्ण विषयों के नोट्स बनाना चाहिए व कटिंग रखनी चाहिए -
  १- सरकारी नीति व योजनाएं 
२-मूलभूत आर्थिक नीति संबंधी 
३-संविधान से संबंधित 
४-महत्वपूर्ण आयोगों की सूचनाएं 
५-प्रशासन संबंधु मुख्य समाचार 
६- वैज्ञानिक खोजें 
७- आपदाएं व प्रबंधन 
८- पर्यावरण संबंधी 
  समाचार पढ़ने के बाद उन विषयों पर 15 -20 मिनट तक पुनर्विचार करना आवश्यक होता है 


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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  में..... 
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कृपया इस लेख व 
हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" 
आशय को   लोगों तक पँहुचाइये प्लीज ! 
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S UPSC Exam Hard ?Family background and IAS/UPSC Exams, Planning IAS Exams, Long term Planning, Starting Age for IAS/UPSC exam preparation,  
Sitting on other exams ,
Should IAS Aspirant take other employment while preparing for exams?, Balancing with College  Study ,
Taking benefits from sitting on UPSC exams, Self Coaching IAS/UPSC Exams,  Syllabus  IAS/  UPSC Exams

समाचार पत्रों में क्या क्या पढ़ना चाहिए

Preparation for IAS Exam, UPSC exams 
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समाचार पत्रों में क्या क्या पढ़ना चाहिए 

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गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है-51 )
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IAS/IRS/IFS/IPS  कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -51
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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
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   बहुत से या कहें अधिसंख्य   UPSC परीक्षार्थी समाचार पत्रों को परीक्षाओं की दृष्टि  से पूरा पढ़ते हैं कि पता नहीं परीक्षा में क्या प्रश्न आ जा।  किन्तु भूल जाते हैं कि प्रत्येक समाचार पत्र अपने आप में महासागर है और महासागर को पीने की चेष्टा करना याने कुछ भी याद न रखना है।   
  UPSC परीक्षा में महत्वपूर्ण जनरल नॉलेज के प्रश्न पूछे जाते हैं जिनका रोजमर्रा जिंदगी या प्रशासन में महत्व होता है।  अत : परीक्षार्थी को UPSC परीक्षा की दृष्टि से निम्न पृष्ठों को ही ध्यानपूर्वक ,स्मरणार्थ पढ़ना चाहिए -
मुखपृष्ठ - मुखपृष्ठ में मुख्य सूचना/समाचार /न्यूज होते हैं अत: इन समाचारों को स्मरणार्थ पढ़ना आवश्यक है 
सम्पादकीय - सम्पादकीय पृष्ठ में संपादक मंडल के अतिरिक्त कई ज्ञानियों, विशेषज्ञों  के विभिन्न विषयों पर प्रादेशिक से लेकर अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानवर्धक लेख होते हैं जो कई विषयों को संबद्ध  करने में सक्षम होते हैं।  सम्पादकीय लेख ज्ञान वर्धन हेतु ही नहीं विश्लेषण शक्ति वर्धन हेतु भी महत्वपूर्ण होते हैं। एक लेख में कई अन्य संबन्धीय विषयों का तर्कसंगत मिश्रण होता है। 
खेल समाचार -खेल समाचार भी जनरल नॉलेज ज्ञान हेतु आवश्यक है 
अन्य समाचार - जैसे पुरुष्कार , नई खोज , विज्ञानं पर्यावरण संबधी , नए करतबों के बारे में समाचार पत्र में पढ़ने तर्कसंगत हैं।   



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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  में..... 
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कृपया इस लेख व 
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बड़ा बसंता Brown-headed Barbet ( Megalanima zeylanica)

गढ़वाल की चिड़ियायें - भाग -40

( Birds of  Garhwal; Birding and Birds of Garhwal, Uttarakhand, Himalaya ----- 40) 
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आलेख : भीष्म कुकरेती , M.Sc.; D.M.S.M; D.E.I.M.
 स्नजय सोंधी अनुसार 27 सेंटीमीटर लम्बा बसंता तकरीबन  उत्तराखंड में सब जगह मिलता है।  इसकी विशष पहचान इसका भूरा सिर , भूरी छाती व भूरा गला है। इसके पेट व अगल बगल में धारियां नहीं होती हैं। बड़ा बसंता जंगलों व बस्तियों के पास के पेड़ों में वास करता है और कुत्रु , कुत्रु की आवाज करता रहता है।  वैसे फल ही  खाता है किन्तु कीड़ों से परहेज नहीं है।  इसी से मिलता जुलता काला नीला सिर वाला बसंता भी होता है 
 

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सर्वाधिकार @सुरक्षित , लेखक व भौगोलिक अन्वेषक  



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कंडाळी ,सियूंण : आयुर्वैदिक पनिशमेंट कल्चर वापस लाओ

 कंडाळी ,सियूंण : आयुर्वैदिक पनिशमेंट कल्चर  वापस लाओ 
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

कंडाळी ब्वालो , कनाली ब्वालो या ब्वालो सियूंण या पहाड़ी संस्कृति कु एक अभिन्न अंग थौ।  कंडाळी दंड संहिता त हिमालयी न्याय संस्कृति एक अंग छौ। 
वै बगत हाउ टु करेक्ट युवर चिल्ड्रन किताब नि मिल्दी  छै , फंड फूको तब किताबि  नि मिल्दि  छै।  त पुस्तकबिहीन युग मा ब्वै बाबु कुण कंडाळी ही बच्चों तै अड़ाणो पुस्तक छे।  बच्चान उज्याड़ खलै  दे तो कंडाळी,  बच्चा स्कूल नि जाणो राड़ घाळो  तो कंडाळी की झपांग।  त कबि कबि कजे  अपण कज्याण बि झपोड़ दींद थौ बल कंडाळी मा हींग बिंडि किलै डाळ।  पहाड़ी लोक तब न्याय निसाब बि आयुर्वेदिक माने बाबा रामदेव  शैली मा हर्बल ढंग से करदा छा।  कंडाळीन झपोड़न वास्तव मा आयुर्वेदिक पनिशमेंट याने अहिसंक दंड थौ।  
    जौं तैं हेमवती नंदन बहुगुणा अर चंद्रमोहन सिंह नेगी चुनाव याद ह्वावो त ऊं तैं पौखाळ (अजमेर पट्टी ) मा कंडाळी झपोड़ण घटना बि याद  होली ही। गढ़वाल का वास्ता यु चुनाव विश्व युद्ध से बि खतरनाक साबित ह्वे। द्वी पार्ट्युं तरफान उत्तर प्रदेश , चंबल से लुटेरा , डाकु , बलात्कारी बुलाये गे छा। मैदान से अयां कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओंन पौखाळ नजिक कै छोरी छेड़ दे।  जनान्युंन कुछ नि कार , उखाड़िन कंडाळी बुट्या अर सब तै झपोड दे।  उ लड़की छिड़ण वाळुं तै बुबा नना याद ऐ गेन।  उ सब जीप से कोटद्वार दौड़िन अर पुलिस स्टेशन रपट लिखवाणो गेन त पुलिस वळुंन पूछ बल " जनान्युंन क्यां से  पीट ?" त लड़कीबाज कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं जबाब छौ ," घास से पीटा ". फिर पुलिसक प्रश्न छौ ,"घाव बताओं ". अब यी बदजात कॉंग्रेसी घाव कखन बतांद।  घाव हो तो बतांद।  सब  दुशासनों पर दर्द हूणु थौ पर डाउ -दर्द की निशानी नि दिखेणी छे। पुलिसन रिपोर्ट नि लेखी। हर्बल पनिशमेंट कु सबसे बढ़िया प्रयोग !  याने कंडाळीन झपोड़ो। 
     अबि कुछ दिन पैल शराब विरोधी जनान्युंन शराब बिचण वळ अर शराब्यूं तैं कंडाळीन झपोड़ अर फिर बि पुलिस वळ FIR नि दर्ज कर सकिन।  आयुर्वैदिक दंड का विरुद्ध पुलिस बि कुछ नि कौर सकिद। 
असल मा कंडाळी दंड संहिता सरा भारत म लागू करणै जरूरत च। 
म्यार त बुलण च बल संसद मा पीठासीन अध्यक्ष तैं कंडाळी दिए जाण चयेंद अर जनि सांसद या विधायक संसद का कुंवा मा घ्याळ लगाणो आवो तनि मार्शल घ्याळ करदार सांसदों तैं कंडाळीन झपोड़ द्यावो।  तो मि शर्त रखदु  बल एक बि सांसद संसद ठप्प करणो सुपिन मा बि नि सोच सकल।  कंडाळी म्यार हिसाब से देव दत्त अहिंसक दंड हथियार च अर संसद या विधान सभा मा अवश्य प्रयोग हूण चयेंद।  
  जु मंत्री पूरी तयारी कौरिक संसद मा नि आओ वै /वीं पर बि आयुर्वैदिक पनिशमेंट याने कंडाळी दंडिका  प्रयोग हूण चयेंद।  
      कपिल सिब्बल सरीखा लोमड़ी से बि बड़ो चालाक वकील जु जज साहिबान से तारीख पर तारीख मंगणा रौंदन ऊं पर बि कंडाळी दंडिका प्रयोग हूण चयेंद कि ये लोक तो छ्वाड़ो हैंक लोक मा यी खुर्रांट वकील तारीख मंगण से घबरावन। 
      जब जनता  सरकारी दफ्तर मा काम करवाणो जांदी त हरेक तै कंडाळी बुट्या मुफ्त मा दिए जाण चयेंद।  जनि क्वी सरकारी कारिंदा काम करणो बहाना बताओ या घूस मांगो वै तैं अभ्यार्थी कंडाळी  से झपोड द्यावो।  
     मि त उत्तराखंड क्रान्ति दल वळुं  तै सलाह दीणु छौं बल उत्तराखंड मा एक आंदोलन चलाओ जु मास्टर रावो कोटद्वार मा हाजरी लगणी रुद्रप्रयाग मा इन मास्टरों तै कंडाळी से झपोड़े जावो। 
      कंडाळीन  झपोड़णै संस्कृति कु वापस लाणौ समय ऐ गे। 
    आपक राय क्या च ? क्या कंडाळी दंड संहिता सरा भारतम लागू नि हूण चयेंद ? 



30/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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ताजदार किलकिल , Crested Kingfisher (Megaceryle lugubris)

 गढ़वाल की चिड़ियायें - भाग -39 

( Birds of  Garhwal; Birding and Birds of Garhwal, Uttarakhand, Himalaya ----- 39 ) 
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आलेख : भीष्म कुकरेती , M.Sc.; D.M.S.M; D.E.I.M.
   लगभग 41 सेंटीमीटर लम्बी ताजदार किलकिल एक हिमालयी पक्षी है जो पहाड़ तलहटी  (भाभर , तराई ) की नदियों व्  पहाड़ी नदियों , नालों के पास पायी जाती है।  इसकी झबरायुक्त कलंगी , पंखों व पूँछ पर काली सफेद पट्टी  होती हैं।  

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सर्वाधिकार @सुरक्षित , लेखक व भौगोलिक अन्वेषक  



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देवस्थल तो रचनाधर्मिता कत्ल करने के 'खबेश' हैं

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देवस्थल तो रचनाधर्मिता कत्ल करने  के 'खबेश' हैं   
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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ब्याळि लोकसभा मा 'तीन तलाक ' बिल पास ह्वे गे।  बिलन पास नि हूण  छौ पर कॉंग्रेस अर यार पार्टी अचकाल हिंदुऊं तै बि सेकुलर समजण मिसे गे त कॉंग्रेस अर यींक यारी पार्ट्युं न मुसलमानुं तैं तिरैक बिल पास हूण दे।  पर ओवैसी साब कुछ बुलणा छा अर हरेक 'देशभक्त' नेता जनाब ओवैसी क स्टेटमेंट तैं बकबास बुलणु छौ।  जब कि ओवैसी की बातुं म स्वार्थ हो किन्तु तर्क बि छौ।  तीन तलाक बंद करण  त ठीक च पर तलाक लीणो तरीका अर तलाकौ ऐथर पैथर पर बि त क़ानून स्पष्ट हूण चयेंद निथर GST तरां रात मा बार बार घसीटा राम की दूकान खुलण पोड़ल 'देशभक्तों ' तैं। 
 बकबास , कुतर्क मा बि तर्क हूंद। 
   हमर गाँव एक मूळी माई आंदि छै अर सुबेराक चाय पीणो हमर ड्यार आंदि छे।  चाय पेकि माई बुल्दी छे , "चा त झंग्वर जोग बणी च "
   उन त बात बेतुकी लगद  , तर्कहीन दिखेंद किन्तु यदि झंग्वर चाय मा खाये बि जावो त भंगुल त नि जाम जाल ? अरे प्रयोग करणम हमर क्या जाणु च भै।  ज्वा बात हमर संस्कृति या धारणा विरुद्ध हूंद हम वीं बात तैं बकबास , निरर्थक , उटपटांग नाम देकि रचनाधर्मिता तैं रुकणो पुठ्या जोर लगांदा।  बकबास पर ऐक्सिपरिमेंट की जगा हम क्रिएटिविटी का ही  कत्ल कर दींदा।  आम मनिख क्रिएटिविटी कु  कतल करण मा इ तर्क समजद। 
  अब झंग्वर पर बात आयी त मुंबई की छ्वीं लगै दींदु।  मेरी मा सन 71   मा मुंबई ऐ गे छै।  अर मां क वजै से आज बि मेरी घरवळि , मेरी द्वी ब्वारी झंग्वर पकांदी छन।  मैना मा एक दिन त झंग्वर पकद इ च। अर मीन कत्ति दैं अपण घरवळी कुण ब्वाल (रिक्वेस्ट ) बल एक दिन झंग्वरै बिरयानी या पुलाव बणै दे, निथर खिचड़ी ही पकै दे ।  जब बि मि झंग्वरै पुलाव या बिरयानी पकाणो रिक्वेस्ट कौरु ना कि मेरी माँ , म्यार बच्चा इ ना आस पड़ोसी बि घरवळि तरफ ह्वे जांद छा अर मि तैं तून दींद छा बल अरे लाटो -कालों छ्वीं मुंबई मा बर्जित च।  दुसर ढंग से सुचण समाज मा अमूनन बुरु माने जांद।  जब ब्वारी ऐ गेन त झंग्वर पकण बंद त नि ह्वे किन्तु अब उथगा दैं नि पकद पर झंग्वर हमर डाइट का एक अंग छैं इ च।  जब मीन ब्वार्युं से झंग्वर बिरयानी या पुलाव पकाणौ  दरख्वास्त कार तो उंकी भाव भंगिमा से मि समज ग्यों बल उ मि तैं दुनिया का मूर्खों का सम्राट समजणा छन।  क्वी बि अपण धारणा नि तुड़ण चाँद अर जु ऊंकी धारणा तुड़ण चांद  वै तैं मूर्ख ,  पागल या बकबास करंदेर करार दिए जांद। 
      मंदिर , मस्जिद , गिरिजाघर या गुरुद्वारा तो रचनाधर्मिता रुकणो सबसे बड़ा खबेश छन , रागस छन।  जी हाँ देवस्थल रचनाधर्मिता निजन्मणो बान ही बणाए जांदन।  देवस्थलों काम ही एक च कै बि तरां से रचनाधर्मिता यीं पृथ्वी मा नि जनम।  मनुष्य की रचनाधर्मिता तबि विकसित हूंद जब हम कै चीज तैं ऐथर इ ना पैथर बिटेन बि देखां। रचनाधर्मिता मा गलत दिशा से दुनिया दिखण आवश्यक हूंद।  किन्तु जरा देवस्थलों पर नजर तो मारो अधिसंख्य देवस्थल मा एकी दरवज हूंद जु समिण हूंद।  देवस्थलों मा तीन तरफ से द्वार /आवाजावी का रस्ता बंद रौंदन।  अर देवस्थलों मा तीन तरफ से रस्ता बंद करणो ख़ास कारण हूंद कि भक्तों या अवालंबियूं की सुचणा सकती खतम करे जावो।  धर्मावलम्बी चौतरफान दुनिया दिखणो नि स्वाच यो ही मकसद हूंद मंदिर , मस्जिदों , गिरिजाघरों या देवस्थलों का।  इख तलक कि निरंकार समर्थकों देवस्थल बि तीन तरफ से बंद हूंदन।  पैथर बिटेन दिखण मतलब दूरबीन से उल्टा तरफ से दुनिया दिखण किन्तु समाज , देवस्थल , अर अन्य इनि माध्यम नि चांदन कि मनुष्य अलग तरह से संसार द्याख तो मनुष्य की सोच शक्ति पर तरह तरह का पहरा लगाए जांदन। 
      क्या आप बि अपण बच्चों की रचनाधर्मिता तैं उटपटांग , निरर्थक , बकबास नाम तो नि दीणा छा ? क्या आप बि झंग्वरौ बिरयानी पकाणम रोड़ा अटकाणा छंवां ? क्या आप बि रचनाधर्मिता रुकणो बान तीन तरफ से दीवाल धरणा  छा ? 
   


29/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

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समाचार पत्रों की संख्या

Preparation for IAS Exam, UPSC exams 
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 समाचार पत्रों की संख्या 

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गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )
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IAS/IRS/IFS/IPS  कैसे बन सकते हैं श्रृंखला 50-
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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
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  समाचार पत्रों के सम्पादकीय व अन्य आवश्यक घटनाओं हेतु समाचार पत्र पढ़े जाते हैं।  किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के परीक्षार्थी किन किन और कितने समाचार पत्र पढ़े जायं पर कनफ्यूज रहते हैं।  समाचार पत्र परीक्षार्थी को आज के ज्ञान व अन्य ज्ञान हेतु वश्य्क है किन्तु परीक्षार्थी को समझना चाहिए कि समाचार पढ़ने में समय कम ही लगाना चहिये।   
   सभी विज्ञ सलाहकारों की रराय  है कि निम्न स्तरीय समाचार पत्र ही पढ़े जाने चाहिए और तीन से अधिक समाचार पत्र कतई नहीं पढ़ने चाहिए -
1 -राष्ट्रीय समाचार पत्र 
2 - प्रादेशिक समाचार पत्र 
3 - फिनेंसियल समाचार पत्र 
समाचार पत्र उसी भाषा में पढ़ने चाहिए जिस भाषा  माध्यम में आप परीक्षा दे रहे हों। 
अंग्रेजी समाचार पत्र तभी पढ़ना चाहिए कि जब आपको अंग्रेजी समझ में आती हो।  


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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  में..... 
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कृपया इस लेख व 
हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" 
आशय को   लोगों तक पँहुचाइये प्लीज ! 
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S UPSC Exam Hard ?Family background and IAS/UPSC Exams, Planning IAS Exams, Long term Planning, Starting Age for IAS/UPSC exam preparation,  
Sitting on other exams ,
Should IAS Aspirant take other employment while preparing for exams?, Balancing with College  Study ,
Taking benefits from sitting on UPSC exams, Self Coaching IAS/UPSC Exams,  Syllabus  IAS/  UPSC Exams