Curry Leave Tree Plantation for Medical Tourism Development
औषधि पादप वनीकरण -52
Medicinal Plant Community Forestation -52
उत्तराखंड में चिकत्सा पर्यटन रणनीति -156
Medical Tourism Development Strategies -156
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 259
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -259
आलेख :
विपणन आचार्य
भीष्म कुकरेती
लैटिन नाम - Murraya koenigii
संस्कृत /आयुर्वेद नाम -
सामान्य नाम - करी पत्ता , गन्ध्यल , गंधेला
आर्थिक उपयोग ---
उत्तराखंड के पहाड़ों में यह पेड़ अनुपयुक्त पेड़ झड़ी माना जाता है। बरसात में पत्तियां मच्छर /कीड़ों से बचाव हेतु जानवरों के नीचे बिछाया जाता है
लकड़ी
-----औषधि उपयोग ---
रोग व पादप अंग जो औषधि में उपयोग होते हैं
जड़ें
पत्तियां
फल
बीज
रोग जिनके निदान में पादप उपयोगी है
सिद्ध आयुर्वेद में गंदेला मोटापा कम करने , मोतिया बिंद न होने व अश्रु ज्योति वृद्धि व बाल न झड़ने हेतु प्रयोग होता है।
सुगंधित भोजन हेतु
पाचन शक्ति वृद्धि
जले व घाव भरान हेतु
कीड़ों के काटने पर
दस्त रोकथाम
शक़्कर बीमारी में
कैंसर रोकथाम
कोलेस्ट्रॉल कम करता है
कैडियम आदि रेडिओ ऐक्टिव पदार्थ के प्रभाव को कम करता है
बैक्टीरियल व जंगल प्रभाव क्षीण करता है
यकृत की बीमारी
बाजार में उपलब्ध औषधि
पादप वर्णन
समुद्र तल से भूमि ऊंचाई मीटर - 500 -1450
तापमान अंश सेल्सियस - 25 -37
वांछित जलवायु वर्णन - उष्ण कटबंधीय
वांछित वर्षा mm उत्तराखंड के दक्षिणी पहाड़ी जलवायु उपयुक्त
वृक्ष ऊंचाई मीटर - 9 तक
तना गोलाई सेंटी मीटर - 40 लघभग
छाल -मटमैली
टहनी -जाधियाँ बनाने में सक्षम
पत्तियां -एक टहनी पर 21 तक पत्तियां
फूल आकार व विशेषता - छोटे सफेद गुच्छों में
फूल रंग - सफेद
बीज /गुठली विशेषता, आकार , रंग - गुठली के गूदे में बीज , गुठली भूरे रंग की गोल मटोल
फूल आने का समय - अप्रैल मई
फल पकने का समय - जुलाई अगस्त
बीज निकालने का समय - पकते ही तुरंत
बीज/गुठली कितने समय तक अंकुरण हेतु क्रियाशील हो सकते हैं - 12 महीने
संक्षिप्त कृषिकरण विधि -
बांछित मिट्टी प्रकार pH आदि -लाल बलुई , अच्छी जल निकासी वाले स्थान , धुपेली पृष्ह्ठयति किन्तु छाया भी सहन ककर सकता है
बीज बोन का समय - तुरंत पके बीजों के गूदे को निकाल कर बो देना चाहिए , कृषिकरण हेतु बीज बोन से पहले दो तीन बार चलाना आवश्यक
रोपण हेतु एक मीटर दूरी होनी ही चाहिए
क्या कलम से वृक्ष लग सकते हैं ?हाँ
क्या वनों में सीधे बीज या पके फल छिड़के जा सकते हैं ? हाँ गोबर गोले बनाकर तूंग बनों में अधिक उत्पादक हो सकते हैं /अथवा कटे-पके फलों व बीजों को नदी या गदनों में बहा देना श्रेयकर
वयस्कता समय वर्ष - पत्तिया दो साल में ही उपयोगी
यह लेख औषधि पादप कृषिकरण /वनीकरण हेतु जागरण हेतु लिखा गया है अतः विशषज्ञों , कृषि विद्यालय व कृषि विभाग की राय अवश्य लें
कृपया इस लेख का प्रिंट आउट ग्राम प्रधान व पंचायत को अवश्य दें
Copyright@ Bhishma Kukreti , 2018 , kukretibhishma@gmail.com
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