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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Monday, September 29, 2014

नगरीय , महानगरीय अर कस्बाई संस्कृति की प्रशंसा करण मा क्यांक कंजूसी ?

बावरा ::: भीष्म कुकरेती 
अच्काल गढ़वळि अर कुमाउँनी भाषा साहित्य मा साहित्यकारुं मध्य एक रिवाज , एक प्रचलन , एक फैसन   ऐ ग्यायि बल नगरीय , महानगरीय अर कस्बाई रहन- सहन , उठण -बैठण अर नौकरी -चाकरी तैं थींचो , पीटो अर चट्टेलिक मा -बैणि  गाळि द्यावो अर बड़ा साहित्यकार की श्रेणी मा अपण नाम लिखै ल्यावो !
वर्तमान मा अधिसंख्य कुमया -गढ़वळि कवितौं , कथौं , इतर लेखन इख तक कि फेसबुक माध्यम मा  बि शहरी संस्कृति की सामत आयीं च जन बुल्यां या मेट्रो ट्रडिशन, सिटी कल्चर या अर्बन फैसिलिटी -सुगमता ही गढ़वाळी -कुमाउँनी सभ्यता , लोकसंस्कृति अर पहाड़ -नदियों  की बड़ी बैरी, दुसमन अर परेशानी की जड़ होवाँ धौं। 
साहित्यकार या फेसबुक का पोस्टकार सुबेर -सुबेर बर्फीली चोटियों की प्रशंसा युक्त कविता , लेख या फोटो फेसबुक मा पोस्ट करदन या पत्र -पत्रिकाओं मा छपवांदन अर अपर महानगरीय या नगरीय फ़्लैट मा हीटर , गीजर चलांदन या नई नई कंबळि ढिकाण लीन्दन। 
आज का साहित्यकारुं मध्य साहित्य मा नागरीय जिंदगी तैं श्राप ग्रसित बताणै ;  महानगरीय जिंदगी तैं फिटकार दीणै, , कस्बौ रहन -सहन तैं कीड़ा -मकौड़ों दगड़ धरणो   प्रतियोगिता हुणि च , कम्पीटीसन मच्युं च अर जबरदस्त संघर्ष चलणु च। अर यांक दगड़ दगड़ महानगर मा कै  साहित्यकारक   मा कोठी बणी छन , कु फलण नगर मा कखम कोठी बणाणु च , कैक -कैंकि  बंगलो बान जमीन खरीदीं च अर कु कु शहरूं मा जमीन क्रय करणो क्रिया मा व्यस्त च , लिप्त च की चर्चा व्यक्तिगत तौर से साहित्यकारों मध्य खूब जोरों से चलणि रौंद। 
आज जब अंतर्राष्ट्रीय थौळ मा ,  राष्ट्रीय परिवेश मा अर राज्य सचिवालयों मा स्मार्ट मेट्रो सिटीज , स्मार्ट सिटीज अर अत्याधुनिक सुविधाजनक उपनगर स्थापित करणो नीति , योजना , बजट बणना छन तो अवश्य ही गाँवों पर क्वी बि अंतराष्ट्रीय संस्था , सरकार या समाज कथगा बि ध्यान द्यालो  तो भि गांवुं मा वा सुविधा नि जुड़ सकदन जु महानगर , नगर अर क़स्बों तैं उपलब्ध होली।  याने सुविधाभोग एक वास्तविकता च , एक असलियत  च अर महत्वपूर्ण आवश्यकता बि च तो समाज बि मेट्रो , सिटी अर टाउनों तरफ भागल ही। 
इन माँ यदि साहित्यकार अपण पाठकों तैं पहाड़ मा बसणो प्रेरणायुक्त साहित्य , पहाड़ी संस्कृति पर चिपकणो प्रेरणायुक्त साहित्य , वापस गाँव जावो कु  उत्साहवर्धक साहित्य दयाला तो शर्तिया साहित्यकार अपण पाठकों पर अत्याचार कारल , अपण बंचनेरुं का साथ अन्याय कारल अर अपण समाज तैं डेढ़ सौ साल पैथर धकेलणो अर्थहीन कोशिश कारल। 
यदि गढ़वाली -कुमाँऊनी साहित्यकारुं तैं अपण पाठकों से जुड़न , अपण रीडरशिप बढ़ाण अर भाषा विकास करण तो साहित्यकारों तैं अपण साहित्य मा महानगर , नगर अर कस्बों की बात करण पोड़ल , नगरीय साहित्य की रचना करण पोड़ल अर नगरीय सुविधाओं की सकारात्मक छवि बणाण पोड़ल। 
अजकाल साहित्य माँ ग्रामीण परिवेश माँ संत समाज , सहकारिता युक्त संस्कृति , संस्कारयुक्त व्यक्तियों बड़ी बड़ाई हूंदी अर महानगरुं , नगरुँ , कस्बों मा पळदा समाज , अपसंस्कृति अर असहयोग की आलोचना , घोर काट, कड़ी निंदा हूंद इख तलक कि महानगरीय परिवेश की बेज्जती करे जांद, महनगरीय जिंदगी तैं साहित्य मा नीचा दिखाए जांद ।   जब कि यी महानगरीय कमियां गावुं मा हजारों सालों से विद्यमान छे। क्या हम महानगरीय नागरिक बगैर सहकार , बगैर संस्कार , बिना सही संस्कृति का एक दिन भि ज़िंदा रै सकदां ? नही यु सब सकारात्मक  गुण , चरित्र अर मानवीयता महानगरों मा बि उनि च जु गाँवों मा छे किलकि यी गुण , चरित्र तो मनुष्य का मानवीय गुण छन , मानवीय आवश्यकता छन तो मनुष्य कखि बि रालो यी मानुषिक चरित्र मनुष्य मा ऐ जाल हाँ यूंक  पारम्परिक अभिव्यक्ति अर तरीका बदल जाल।  
आज गढ़वळि -कुम्मयों तैं महानगरीय संस्कृति मा सर्वोच्च स्थान पाणो आवश्यकता च।    याने कि समाज, साहित्यकार अर विचारकों तैं पहाड़ी समाज तैं  महानगरुं मा  उच्चता प्राप्त करणो प्रेरणा दीण चयेंद नाकि महानगर मा रैक डेढ़ सौ साल पैथर जैक अप्रसांगिक हूणै प्रेरणा दीण चयेंद। 
गढ़वळि -कुम्मय्या साहित्य मा महानगर की सकारात्मक छवि आज की मांग च , आज की आवश्यकता च अर भविष्य की सोच च। भविष्य की सोच से ही साहित्यकार अपण पाठकों से तादत्म्य स्थापित करी सकद अर गढ़वळि -कुमाउँनी भाषा बचै सकदन। 
आज गढ़वळि -कुम्मय्या साहित्यकारों तैं बाड़ी -फाणु -भट्वणि ;  अंगड़ु- पगड़ु-गुलबंद का दगड्या दगड़ महानगर की सभ्यता , नगरों की सुविधा अर कस्बों मा सकारत्मक समाज की भी बात करण आवश्यक च।

Copyright@  Bhishma Kukreti 29 /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;

Historical Aspects of Thokdar and Padhan in Garhwal in Shah Dynasty Period

Administration, Social and Cultural Characteristics History of Garhwal in Shah Dynasty -6

History of Garhwal including Haridwar (1223- 1804 AD) –part -195      
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -443 

                       By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)

                                  Thokdar in Garhwal Kingdom
          Today, in Garhwali, Thok means a Family of family tree members or Mundit.  The head or eldest member of Thok is called Thokdar.
              From administrative point of view, Thokdar means the head of Padhan or village chiefs. Thokdar position was dynasty base system but the Kingdom or its administrators could change Thokdar and could appoint new Thokdar or could add new Thokdar.
 Thokdar had a couple of synonymic names as-
 Salan- in Salan, Thokdar was also called as ‘Kamin’.
 North Garhwal- in North Garhwal, Thokdar was called as ‘Sayana’.
Bhotantic Region – in Bhotantic Region (Neeti-Mana and Joshimath), Thokdar was named as ‘Budha’ or Budher’.
 The Thokdars used to report to Pargana in charge of the Kingdom.
           Job Responsibilities of Thokdar, Sayana, Budher or Budha

The major job responsibility of Thokdar was for collecting the Kingdom Tax or Kar.

                     Benefits for Thokdar or Sayana

 Thokdar was in charge of a few villages. He was not owner of the land under him. However, he was given free farm land. He used to get tribute from Padhan or village chief.
   From Jeetu Bagdwal folklore, it seems that Kingdom used to offer an ‘Angrakha’ or upper garment to Thokdar. Villagers used to offer special ‘Pithai’ to Kameen, Sayana, Thokdar or budher in the maarige of their children.
  Villagers used to offer Ghee to Thokdar on the occasion of caw or buffalo delivering kids.  Many Sayana or Thokdars used to levy tax on unmarried daughters, Ghat (water mills) and non milk producing animals.
  Thokdar were also called Sardar in plains of Garhwal Kingdom.

              ‘Padhan’ or Village Chief
            Generally, Village chief or Padhan position was dynasty based position and the eldest son was eligible for being ‘Padhan’. However, for Thokdar, the position of Padhan was a temporary post and he was free to dismiss the ‘Padhan’ and would appoint other person.
     Dr. Dabral states that Padhan used to offer following tribute to Thokdar-
Two rupees Pithai in daughter’s marriage
A goat thigh when goat was killed
A basket of maize in Shravan
Half kilo ghee at the animal kid delivery
  The above custom was prevailing even after independence.  The above custom was for as creating ruling system and respect system too.

Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com28/9/2014
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -444
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
History of Garhwal from 1223-1804 to be continued in next chapter ….
XX                     
Notes on South Asian Modern Period  History of Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Pauri Garhwal; South Asian  Modern Period  History of Chamoli Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Rudraprayag Garhwal;  South Asian Modern  History of Tehri Garhwal; South Asian Modern  History of Uttarkashi Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Dehradun, Garhwal;  Modern  History of Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Manglaur, Haridwar;  South Asian Modern Period   History of Rurkee Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Bahadarpur Haridwar ; South Asian Modern Period  History of Haridwar district, History of Characteristics of Garhwal Kings Shah dynasty ,  to be continued

साड्युं द्वारा जय ललिता कुण सांतन्वा पत्र !

 जयललिता कु वार्डरोब से खबरची ::: भीष्म कुकरेती 

जयललिता का वार्डरोब मा पुरणि साड़ी - अरे तुम नई जनरेसन से इथगा उम्मीद छे अर तुमन अबि तलक मैडम जयललिता कुण एक पस्त्यौ पत्र नि लेख साक ! जब कि वींक समर्थक अग्निदाह की तयारी करणा छन। वींक समर्थक हल्ला -गुल्ला करिक लौ ऐंड ऑर्डर की समस्या खड़ करणा छन अर हम हजारों साडी एक पत्र नि भेज सकणा छंवां ! 
हैंक पुरण साड़ी -हाँ शरम की बात च , बेज्जती की बात च , हमकुण जळणो बात च कि अम्मा तैं जेल मा बारा घंटा ह्वे गेन अर  अबि तक हम एक सांतन्वा पत्र बि भेज सकां !
एक नई फैसन की साड़ी -तो लिखे जाव आदरणीय     …… 
अदबुडेड़  साड़ी - यां रांड होली तेरी ! यु लेटर मीडियाक हाथ लग जाल तो क्या ब्वालल कि पक्षपातहीन साडी एक अपराधी कुण आदरणीय शब्द प्रयोग करणा छन।   
वै फ़ैसनेबल साड़ी -तो लिखे जाव कि हे !  बीच बजार मा  बेशरम , बिलंच ,प्रजातंत्र की कोढ़   .... 
दुसर फ़ैसनेबल साड़ी - बीच बजार मा सब्युं समिण जुत्यांण लैक    ....... हम तैं अत्यंत प्रसन्नता च , बड़ी खुसी च अर उत्साह माँ हम झुमणा छंवां   कि तू प्रजातंत्र का नाम पर काळो धब्बा , प्रजातंत्र विरोधी , तामिलनाडु इतिहास मा बेशरमी की रानी आज जेल मा छे।
एक गमगीन कलर की साड़ी -ओ निर्भागिओं हम पश्चाताप का रैबार भिजण चाणा छंवां अर तुम इन लगणु च जन कि क्वी आम भारतीय जयललिता का जेल जाण पर अति प्रसन्नता व्यक्त करणु हो धौं !
एक मध्य उम्र की साड़ी -हाँ हम तैं जयललिता जन भ्रष्ट नेताओं का वास्ता --------बीच बजार मा , बीच चौक मा सुक्यां जुतुं तैं भिगैक से जुत्याण, कंडाळिन झपोड़न ,   अर ऊंक मुख पर थक थुकण या म्वास लोपड़ण जन असभ्य , असंस्कृत  अर गैरसंवैधानिक  लफज प्रयोग नि करण चयेंद।  
बिलकुल नई साड़ी -पर यूँ देशद्रोही जन करम करण वाळ नेताओं, अधिकार्युं  वास्ता सभ्य , संस्कृत अर मुनासिब शब्द प्रयोग करण बि त पाप च कि ना ?
कुछ वर्ष पूर्व की साड़ी -हाँ ! ठीक च ! किन्तु  यूँ बदजात नेता , बदकार नेता -अधिकारी , बदचलन अर देश तैं दीमक जन खाण  वाळ लोगुं पर आम लोगुं गिच पर फिटकार आण त लाजमी च कि ना ?
एक मध्य उम्र की साड़ी - हाँ गुस्सा , आक्रोश अर निरासा मा आम लोगुं गिच पर भयंकर गाळी आली किन्तु हम जयललिता की हजारों की संख्या मा साडी छंवां तो हम जयललिता तैं गाळी नि दे सकदां। हम तैं जयललिता कु समर्थन मा आण चयेंद।
एक बहुत पुरण साड़ी - नै नै ! हम  भावुक आदिम नि छंवां जु नादानी , बेवकूफी अर भावना मा   अपराधी नेताओं का बेबसी मा , नासमझी मा अर पागलपन मा नेताओं का जघन्य पापयुक्त समर्थन करवां  ।   ये अंधभक्ति , अंध समर्थन अर अनाचार सर्मथन से ही यी करूणानिधि , यी ए राजा अर जयललिता देश -राज्य का   प्रजातांत्रिक अधिनायक बण गेन। 
एक साड़ी -हाँ हम तैं सही सोच का भारतीयों जन जयललिता या अन्य नेताओं -लालू , ओम प्रकाश चौटाला आदि की कटु आलोचना , कड़क काट अर भर्तसना करण चयेंद। 
युवा साड़ी -हाँ १ ल्याखो ! हे अपराधन जयललिता ! हम तो खुसी माँ पागल हूणा छंवां , प्रसन्नता मा अट्टाहास  करणा छंवां , नचणा छंवां कि ते सरीखी अपराधी , दोषी , गुनाहगार तैं सजा मील।  ठीक च देर से ही सही किन्तु त्वे तैं दंड , सजा अर जेल हूण से भारतीयों दगड हम तैं बि भारतीय न्यायपालिका , कार्यपालिका अर प्रजातांत्रिक मूल्यों पर गर्व च,  धमंड च अर सम्पूर्ण विश्वास च कि क़ानून के हाथ लम्बे होते हैं जो जयललिता सरीखी के अपराध को दंडित करने में सक्षम है !
सब साड़ी -हाँ हाँ ! जयललिता  सांतन्वा नही उलटा वीं कुण  अपमान करण वाळ ,  बेज्जती करण वाळ,  चिढ़ाण वाळ इन कड़ा वाक्यों प्रयोग कारो कि तामिलनाडु ना पूरा भारत का मंत्री -फंत्री , तंत्री -संत्री , बणिया -सणिया सब अपराध करण से घबडे जावन।  साथ मा एक चिठ्ठी आम जनता कुण बि चिट्ठी ल्याखो , पैगाम भ्याजो   अर जनता तैं सिखाओ कि यदि तुम अज्ञानतावश , मूर्खतावश , भावुकतावश जयललिता ,  लालू , चौटाला जन अपराधी नेताओं का समर्थन करिल्या तो अवश्य  तुम भी अपराध मा शामिल माने जैल्या अर तुम बि दंड का भागीदार बणिल्या   ! 
Copyright@  Bhishma Kukreti 28 /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
  
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अन्य ग्रह का प्राण्यूं का पृथ्वी बारा मा विचार !

 कंद्युर्या भेदी --- भीष्म कुकरेती 

 अन्य ग्रह कु अन्वेषण यान पुटुक एक ग्रह जीव - असिस्टेंट ! इन लगणु च हमर जाज कै ऊर्जा  मंडल का पास का पास पौंछण वाळ च ?
असिसस्टेंट - जी साब ! हम सौर्य मंडल का पृथ्वी ग्रह का पास छंवां। पृथ्वी से एक लाख बयालीस हजार प्रकाश वर्ष दूर  च हमारो  यान।   
साब - तो ठीक च मि पृथ्वी दिखण चांदु। 
असिस्टेंट -महोदय ! मी आप तैं सुपिन , उंगद दै या आतुर्दि मा ये जाहिल ग्रह पर उतरणो सलाह कबि बि नि द्योलु।
साब -कनो ? पृथ्वी मा जीवित जीव नि हूंदन ?
असिस्टेंट -जी यी असभ्य , जाहिल मानव असल मा जीवित मुर्दा छन।
साब -जीवित मुर्दा ?
असिस्टेंट -हाँ जी ! लिविंग डेड ह्यूमन बीइंग्ज  ! यि समजदन कि  ये ब्रह्माण्ड मा यी प्राणी छन अर बकै ग्रह जीवनरहित च।
साब - हैं ! क्या या कौम धार्मिक नी च  ?, क्या या कम्युनिटी धरम से बिमुख च  ? क्या यी ईश्वर पर विश्वास नि करदि ?
असिस्टेंट -नै नै ! बुलणो त हरेक प्राणीन  अपर दरवज या कूड़ मा धर्मो झंडा लगायुं च किन्तु यूँ असभ्य प्राण्यूँ तैं धार्मिक नि बुले सक्यांद !
साब -हैं ! धर्मक झंडा लगायुं च अर फिर बि धार्मिक नि छन ? क्या इ ईश्वर मा विश्वास नि करदन ?
असिस्टेंट -तकरीबन हरेक मानव ये रूप मा , वै रूप मा या बिना रूप मा ईश्वर पर विश्वास करदन।
साब -ओहो मतबल यी अति आदि जीव छन ?
असिस्टेंट -हाँ अति आदि जीव छन जु ईश्वर पर ना अपर ईश्वर पर ही विश्वास करदन।
साब -हैं ! अपर ईश्वर ? मतलब एक सर्वोच्च ईश्वर पर विश्वास नि करदन ?
असिस्टेंट -नै नै ! हरेक एक ईश्वर पर विश्वास करदन किन्तु हरेकन ईश्वर तलक पौंछणो अलग अलग रस्ता बणयां छन। 
साब -तो ?
असिस्टेंट -अर यूं जाहिल आदि मानवोंन अपण रस्ता तैं ही ईश्वर का नाम दे दे
साब -अच्छा ! भगवान तक पौंछणो रस्ता तैं हि ईश्वर कु नाम दे दे ?
असिस्टेंट -हाँ ! अर इथगा से ही यूंक पुटुक नि भार्यायी।
साब -क्या मतलब ?
असिस्टेंट -अपण रस्ता तैं यी ईश्वर दूसरौ ईश्वर याने दूसरौ रस्ता तैं बेकार ही ना बिधर्मी माणदन अर एक रस्ता का विश्वासी दुसर रस्ता का विश्वासी दगड़ मार धाड़ करदन।
साब -हैं ! ईश्वर तक पौंछणो अपण रस्ता तैं उच्च बथाणो बान मार धाड़ करदन ?
असिस्टेंट -जी हाँ आज तलक पृथ्वी मा सबसे अधिक युद्ध , सबसे अधिक कत्लेआम केवल धर्म या ईश्वर का नाम पर ही ह्वेन।  धर्म का नाम पर रोजाना कत्ले आम हून्दन।
साब -ओ म्यार भगवान ! नै नै ! अपण विमान तैं पृथ्वी से जथगा दूर लीजा उथगा दूर लिजा ! जख धर्म का नाम पर महायुद्ध अर धर्म का नाम पर कत्लेआम ह्वावो उना जाण इ नि चयेंद। 
असिस्टेंट -जी हाँ इन असभ्य जीवित मुर्दों से दूर रौण मा ही फायदा च।

Copyright@  Bhishma Kukreti 27/9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;

हास्य लिख्वारौ सुपिन !

रूपांतर ::: भीष्म कुकरेती

आवाज -हेलो ! कीटनाशक जी होला क्या ?
कीटनाशक (हंसोड्या लिख्वार )- जी हाँ मि हास्य लेखक कीटनाशक बुलणु छौं।
कंडाळी   - क्या कहने ! भलो ह्वे आप फोन पर   मिल गेन
कीटनाशक -आप तैं कनकै म्यार पता लगाइ ?
कंडाळी   -आपक 'कखला - बखलीब्लॉग से।
कीटनाशक - ब्वालो ! में से क्या काम च ?
कंडाळी   - कीटनाशक जी में से एक बड़ो कुटिल अपराध ह्वे गे।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   -आपक कथा पर एक वीडिओ फिलम बणाइ,  अच्छी कमाई काईकिन्तु आप तैं क्वी बि श्रेय याने क्रेडिट नि दे।
कीटनाशक - वीडिओ फिलम से कथगा कमाई मतबल फायदा कथगा  ह्वे?
कंडाळी   -नि बि ह्वे हवाल तो बि करीबन पांच एक  लाख कु नेट प्रॉफिट त ह्वे च !
कीटनाशक - तो ठीक च कुछ हिस्सा  भ्याजो
कंडाळी   -हाँ हाँ ! ए हिसाब से तो  फिफ्टी फिफ्टी कु भागीदार छंवां आप।
कीटनाशक -तो ठीक च आप ढाई लाख भेज द्यावो।
कंडाळी   - असल माँ बात कुछ हौर च।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   - क्या च मि जुवारी छौं।  जब कथा का बल पर मीन वीडिओ फिलम बणाइ अर प्रॉफिट ह्वे तो मीन पांच लाख रुपया लेक जुवा ख्याल।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो क्या मि जुवा मा ढाई लाख रुपया हारी ग्यों।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो चूँकि आपक कथा से फिलम बौण तो तुम फिफ्टी फिफ्टी का भागीदार छंवां तो सवा लाख रुपया भ्याजो। जरा जल्दी भ्याजो।
कीटनाशक - अच्छा आप अपण घौरक पता द्यावो।  अर हाँ आपक घौरक पास क्वी हड्डी जोड़ो  हॉस्पिटल बि च ?
कंडाळी   -हाँ ! किलै ?
कीटनाशक -ना कुछ ना ! मि हास्य कथा लेखक बणन  से पैल मुक्कबाज छौ अर गुस्सा मा हड्डी पसली तुड़न मा उस्ताद छौं।
कंडाळी   -थैंक यु मि अपण उधार लीणो कबि फिर ऐ जौल (फोन कट जांद )
कीटनाशक -स्साला !

हास्य लिख्वारौ सुपिन !

रूपांतर ::: भीष्म कुकरेती

आवाज -हेलो ! कीटनाशक जी होला क्या ?
कीटनाशक (हंसोड्या लिख्वार )- जी हाँ मि हास्य लेखक कीटनाशक बुलणु छौं।
कंडाळी   - क्या कहने ! भलो ह्वे आप फोन पर   मिल गेन
कीटनाशक -आप तैं कनकै म्यार पता लगाइ ?
कंडाळी   -आपक 'कखला - बखलीब्लॉग से।
कीटनाशक - ब्वालो ! में से क्या काम च ?
कंडाळी   - कीटनाशक जी में से एक बड़ो कुटिल अपराध ह्वे गे।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   -आपक कथा पर एक वीडिओ फिलम बणाइ,  अच्छी कमाई काईकिन्तु आप तैं क्वी बि श्रेय याने क्रेडिट नि दे।
कीटनाशक - वीडिओ फिलम से कथगा कमाई मतबल फायदा कथगा  ह्वे?
कंडाळी   -नि बि ह्वे हवाल तो बि करीबन पांच एक  लाख कु नेट प्रॉफिट त ह्वे च !
कीटनाशक - तो ठीक च कुछ हिस्सा  भ्याजो
कंडाळी   -हाँ हाँ ! ए हिसाब से तो  फिफ्टी फिफ्टी कु भागीदार छंवां आप।
कीटनाशक -तो ठीक च आप ढाई लाख भेज द्यावो।
कंडाळी   - असल माँ बात कुछ हौर च।
कीटनाशक -क्या ?
कंडाळी   - क्या च मि जुवारी छौं।  जब कथा का बल पर मीन वीडिओ फिलम बणाइ अर प्रॉफिट ह्वे तो मीन पांच लाख रुपया लेक जुवा ख्याल।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो क्या मि जुवा मा ढाई लाख रुपया हारी ग्यों।
कीटनाशक -तो ?
कंडाळी   -तो चूँकि आपक कथा से फिलम बौण तो तुम फिफ्टी फिफ्टी का भागीदार छंवां तो सवा लाख रुपया भ्याजो। जरा जल्दी भ्याजो।
कीटनाशक - अच्छा आप अपण घौरक पता द्यावो।  अर हाँ आपक घौरक पास क्वी हड्डी जोड़ो  हॉस्पिटल बि च ?
कंडाळी   -हाँ ! किलै ?
कीटनाशक -ना कुछ ना ! मि हास्य कथा लेखक बणन  से पैल मुक्कबाज छौ अर गुस्सा मा हड्डी पसली तुड़न मा उस्ताद छौं।
कंडाळी   -थैंक यु मि अपण उधार लीणो कबि फिर ऐ जौल (फोन कट जांद )
कीटनाशक -स्साला !

Bijlwan Caste Settling in Garhwal

Garhwali Folk Tales, Fables, Traditional Stories, Community Narratives -98

  Compiled and Edited by: Bhishma Kukreti (Management Training Expert)
               (Narrated by Dinesh Bijlwan, Baman Gaon, Patti Kwili, Tehri Garhwal)

                    In the title ‘Garhwali Folk Story about Origin of Sajwan and Bijlwan Castes’  of  Garhwali Folk Tales, Fables, Traditional Stories, Community Narratives -98, this author narrated the folktale that  Bijlwan and Sajwan were sons of same person. However, after discussion with Garhwali language dramatist Dinesh Bijlwan this author got another folktale about first settlement of Bijlwan in Garhwal.
        It was time of King Kanakpla or so. Once, King Kanak Pal was performing a very important religious ritual Yagya (Karmakand) near or in Jakholi (Kwili Patti, region Narendra Nagar region, Tehri Garhwal) of Tehri Garhwal. Sajwan people were given the job of protecting that Ritual. At the same time, five persons (four sons and their mother) from Dhara Nagari (Malva, MP) were staying there for visiting Badrinath and other pilgrim places. They were Brahmin and Sajwan were offering them food etc.
       When the King started Yagya with the help of scholarly Pundits, a cow leg bone fell into the Yagya Hawan Kund. It was the most inauspicious aspect that cow leg bone felling into Hawan Kund. The people took out cow leg bone. Now, everybody was worried about inauspicious happenings. The King asked the scholars for the remedies but nobody could offer satisfactory solution. The guest Brahmins were silent on the subject.
  Sajwan asked these gust Brahmins about remedies of cow leg bone felling into Havan Kund.
   The eldest son of the old woman said that he had solution to get rid of sin happened in the Yagya. The Sajwan people and King requested those Brahmins and their mother to perform the remedial Karmakand.
         Each Brahmin sat on each corner of four cornered Yagya sthali and cover the Yagyasthali by a wall of cloth. Brahmins and their mother were sitting outside the cloth wall. Four Brahmin brothers started chanting Gayatri Mantra with concentrated Dhyan (focus). People were mesmerized by chanting of Gayatri Mantra and Brahmins were busy in chanting Gayatri Mantra for many days. On an auspicious day, a cow emerged from the Havan Kund. Everybody including the King and Sajwan soldiers was pleased by emerging a living cow emerging from the Havan Kund.
         Then Brahmins completed the remaining part of Yagya. The King and Sajwan people admired the Brahmins and their power. The King and Sajwan commander requested mother of Brahmins to settle there. Sajwan commanders offered land to Brahmins and that village was named ‘Bamna Gaon’. Before settling in Bamna Gaon, Kwili, Brahins and their mother visited Badrinath and Char Dham.
 Those Brahmins were called Bijlwan.



Copyright @ Bhishma Kukreti 28/9/2014 for review and interpretation

                                 References

1-Bhishma Kukreti, 1984, Garhwal Ki Lok Kathayen, Binsar Prakashan, Lodhi Colony, Delhi 110003, 
2- Bhishma Kukreti 2003, Salan Biten Garhwali Lok Kathayen, Rant Raibar, Dehradun
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Friday, September 26, 2014

नौलि नौलि , नई कार का नखरा

भावानुवाद ::: भीष्म कुकरेती

 नई कारौ मालक (साइन बोर्ड - 'कार मैकेनिक' , देखिक ) - भै इख कार रिपेयर त हूंद च कि ना ?
मेकैनिक -जी हाँ ! जी साइनबोर्ड माँ बि लिख्युं च कि कार मेकेनिक ! 
कारौ मालक -ना ना म्यार मतबल च कि मेरी नई नई नौलि कार च ना ! इलै बुलणु छौं मेकैनिक - आपक समस्या क्या च ?कारौ मालक -नै ज्यादा कुछ ना खाणक नि पचद। मेकैनिक -जी तो आप तैं ह्यूमन बॉडी मेकेनिक मा जाण चयेंद।  मि त कार मेकैनिक छौं।
कारौ मालक - ओहो मीन समझ तू म्यार स्वास्थ्य बारा मा पुछणु छे। मेकैनिक -  जी कार मा क्या खराबी च ?कारौ मालक -मि तैं लगणु च यीं कार मा इंजिन नी च।  सैत च कम्पनीन मि थैं डुप्लीकेट कार बेचीं दे।  देख ना समिण इंजिन छैं इ नी च। मेकैनिक -नै नै ये मॉडल मा इंजिन ऐथर ना पैथर हूंद डिग्गी तौळ। कारौ मालक -हैं डिग्गी तौळ इंजिन मीन समझ कार डीलरन मि तैं बेवकूफ बणैक  बगैर इंजिनै कार पकड़ै दे। मेकैनिक -नै जी ! एक बात बतावो जु यीं कारम इंजिन नि हूंद त आप कार चलैक इख तलक कनकै आंदा।  कारौ मालक -अरे हाँ ! मीन यु त घड़े सोच इ नी च।  थैंक यू  !मेकैनिक -क्वी बात नी च। कारौ मालक -अर हाँ जब कार सेल्समैनन कार बेचीं तो बतै छौ कि कार की माइलेज बारा  किलोमीटर  च पर मेरी कारक माइलेज त किलोमीटर इ च। मेकैनिक (कारक भीतर दिखुद ) -ओहो ! आपक हैंडब्रेक दब्यूं च।  कैन दबाई यु हैंडब्रेक ?कारौ मालक -मीन इ दबाई कि जब बि जरूरत हो तो हैंडब्रेक दबाण पड़द ।  मीन स्वाच कि हहैंडब्रेक दबाणो झंझट से बचे जावो त मीन हैंडब्रेक दबैक रख दे।
मेकैनिक -जी आज से हैंडब्रेक पर जिंदगी भर हाथ नि लगयाँ।  हैंडब्रेक दबण से कारक स्पीड कम रौंद अर कार पेट्रोल ज्यादा खांद  
कारौ मालक -अरे वाह ! कथगा काम की बात बताई !
मेकैनिक -बस ! हौर कुछ गड़बड़ी ?कारौ मालक -ना  ! पर कार हाँ कार की फ्रंट विंडो पर गर्द जम जांदी। मेकैनिक -हैं यीं कार का वाइपर कख हर्ची गेन ?
कारौ मालक -ना ! ना ! बरखाक सीजन त नी च त मीन वाइपर निकाळि देन। मेकैनिक -वाइपर लगैक राखो जाँसे आप फ्रंट विंडो की गर्द saaf  कर साको। कारौ मालक -थैंक यु वेरी मच। मेकैनिक -स्वागत च।
कारौ मालक - अच्छा कथगा बिल ह्वे ?मेकैनिक -कुछ ना।  जु पैसा तुम मीतैं दीण वाळ छंवां वूं पैसों से तुम एक किताब खरीद लेन !
कारौ मालक -हाँ हाँ ! किताबो नाम क्या च ?मेकैनिक -कॉमन सेन्स !
कारौ मालक -थैंक  यूं।  मि अवश्य ही  यीं किताब खरीदलु ।  क्या या किताब हरेक कार विक्रेताक इख मिल जाली ?
25/9/2014

History Aspects of Dharmadhikari Position in the Cabinets of Garhwal Kings

Cabinet Structure in Pal-Shah Dynasty Garhwal Kingdom -2

Administration, Social and Cultural Characteristics History of Garhwal in Shah Dynasty -4

History of Garhwal including Haridwar (1223- 1804 AD) –part -193      
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -441 

                       By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)
      There were Dharmadhikari, Religious Preceptor or ministers for Religious Needs in the cabinets of Garhwal Kingdom.
           Most of records mention Bahugunas as Dharmadhikari of Shah Dynasty King cabinets. However, there is record of Ojha Guru (Maularam , Gadhrajvansh Kavya). There is no such cast in Garhwal. However, Uniyals of Garhwal were Ojha when they migrated from Bihar to Garhwal.
It was necessary that Dharmadhikari would be Sanskrit Scholars, having knowledge of Karmkand, astrology and Ayurved too.
         The job of Dharmadhikari was to offer judgment or advices on –
Caste system
Religious acts
Disputes on religious acts or discussions
Date formulation of auspicious days for the King and public
Arrangement for rituals and social works by the king and King Families
Managing construction of Kingdom temples and management of rituals in those temples or religious places
Management of lands for temples
Managing Sanskrit schools
            List of Bahuguna Dharmadhikari (Head Priest) of Badrinath Temple
 There were Dharmadhikaris in Badrinath temple the major court temple of Garhwal Kingdom. The Dharmadhikari post of Badrinath was given to Bahugunas and their clans only. The list of Dharmadhikari is as follows as per Bahuguna Vanshavali
Medhakar Bahuguna
Ram Datt Bahuguna
Narhari Datt Bahuguna
Pitambar Datt Bahuguna
Ram Prasad Bahuguna
 Devi Prasad Bahuguna was last Dharmadhikari from Bahuguna family as his son Dr Chandi Prasad Bahuguna did not opt for Dharmadhikari post.
Medhakar Shastri was son of Chandidas Bahguna. Medhkar Shahstri was cabinet minister in Pradip Sah court. Medhakar Shastri Bahguna was eleventh generation of Achyuta Nand Bahuguna the first Bahuguna settled in Garhwal.

Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com26/9/2014
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -442
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
History of Garhwal from 1223-1804 to be continued in next chapter ….
XX                     
Notes on South Asian Modern Period  History of Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Pauri Garhwal; South Asian  Modern Period  History of Chamoli Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Rudraprayag Garhwal;  South Asian Modern  History of Tehri Garhwal; Modern  History of Uttarkashi Garhwal;  South Asian Modern Period  History of Dehradun, Garhwal;  Modern  History of Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Manglaur, Haridwar;  South Asian Modern Period   History of Rurkee Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Bahadarpur Haridwar ; South Asian Modern Period  History of Haridwar district, History of Characteristics of Garhwal Kings Shah dynasty ,  to be continued