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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, September 21, 2015

'हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए' का गढ.वाली रूपांतर :

दुष्यंत कुमार की मशहूर हिंदी ग.ज.ल 'हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए' का गढ.वाली रूपांतर :
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ह्वे गए परबत कनी, या पीड. गल़णी चैंद भै
ये हिमाला से कुई गंगा निकल़णी चैंद भै ।
आज मत्थे पाल़ परदौं की तरौं हलणा लगे
शर्त लेकिन छै कि मूडे. पौउ हलणी चैंद भै ।
हर सड.क फर, हर गल़ी मा हर नगर हर गौंउ मा
हाथ झटगांदा झटग, हर लाश चलणी चैंद भै ।
सिर्फ हफरोल़ो लगाणो ही मेरो मकसद नि छा
मेरी कोशिश छा कि या बघबौल़ मिटणी चैंद भै ।
मेरा जिकुडा. मा नि ह्वा त, तेरा जिकुडा. मा सही
ह्वा कखी भी आग लेकिन आग जगणी चैंद भै ।
(गढ.वाली रूपांतर : नेत्रसिंह असवाल )

आत्मसुधार सूत्र अर कुछ आधारभूत कठिनाई

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                            आत्मसुधार सूत्र अर कुछ आधारभूत कठिनाई  
 -                   


                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती    
-
                परसि एक होटलम चेक इन करण मा देर छै तो मि समय काटणो वास्ता एक पत्रिका पढ़ण मिसे ग्यों।  वीं पत्रिका मा आत्मसुधार का कुछ आधारभूत अर कामक सिद्धांत दियां छया। पर भौत सा सिद्धांतुं तै अपनाण भौति कठण छन।
उखमा एक सूत्र च - हळको भोजन ल्यावो अर प्रेरणात्मक किताब पढ़ो।  अब मि तै कार्टूनुं किताब पढ़न भौत पसंद च अर इन्स्पिरेसनल चॉकलेट , इन्स्पिरेसनल कुकीज़ ,  प्रेरणादायक मटन रोगन भौति पसंद छन। 
एक सूत्र च बल दूसरों स्वागत सकारात्मक रूप से कारो।  यांको मतलब तो यी च आप  दांत चमकावो अर हर समय माउथ फ्रेश्नर प्रयोग कारो। 
संगठित हिसाब से काम कारो अर कार्य पूर कारो।  हाँ इखम मि सहमत छौं कि कामुँ लिस्ट बणान की जगा कुछ काम तो पूरा कारो।
अपण भूतकाल की सफलताओं तै दुहरावो अर याद कारो।  मि सफलतापूर्वक कखड़ी चुर्याँद छौ , दुसर तै लड़ाणो बान सफलतापूर्वक एकाक गोर दसुराक पुंगड़ खदेड़ दींदु छौ अर  दसक परीक्षा नकल करिक सफलतापूर्वक पास कार। समझ मा नी आणु कि यदि मि यूं सफलताओं तै दुबर दुहरौं या याद कौरुं तो अर्थ कु अनर्थ नि ह्वे जालो ?
दुसर से सलाह मांगो।  इखमा मंगणै बात क्या च ? मि जैदिन बि शराब छुड़णो कसम खांदु वैदिन इ दगड्या खेंचिक दारुक अड्डा लीजाँदन कि  कम मात्रा याने रोज एक क्वाटर पीण से शरीर बि अर मस्तिस्क बि तंदुरस्त रौंदन। 
एकैक करिक वुं कामुं तै करण बिलकुल बंद कारो जु तुम तै पसंद नि छन याने अनैच्छिक काम बंद करण बंद करण चयेंद।  मि तै नौकरी करण बिलकुल पसंद नी च अर यदि मि नौकरी करण बंद कर द्युं तो फिर खौं क्या ? परिवार कनकै पाळु ?
रचनात्मक बणो , बी क्रियेटिव , कल्पना मा बहो।  अच्छा गाडी चलांद दैं यदि मीन यूँ सूत्रों का प्रयोग कर दे तो क्या होलु ?
नकारात्मक सोचों तै ल्याखो अर वै कागज तै फाड़ी द्यावो।  मतलब मीन 2000 से अधिक व्यंग्य लिख्याँ छन वु सब फाड़न पोड़ल ? कारण व्यंग्य से अधिक नकारात्मक सोच हौर क्या होलु ?
जु तुम हूण चांदवां वांकी कल्पना कारो।  मि कथगा बि मुंड फोड़ी द्यूं पर यीं उमर मा अब तो  युवा ह्वे नि सकदु। 
 धन बचत का बाद जु तुम तै पसंद च वांसे अफु तै पुरस्कृत कारो।  मतलब दिन तक धन बचाओ अर स्याम दै अफु तै पुरस्कृत करणों वास्ता खूब शराब पीओ। 
छुट्टी मा  अकेला कखि जावो अर उख भावी योजना बणाओ  ।  ज्वाइंट फेमिली याने सयुंक्त परिवार मा अकेला छुट्टी पर कखि  छुट्टी पर जये सक्यांद च क्या ?
 पत्रिका मा अग्नै बि कथगा इ आत्मसुधार सूत्रछया पर ऊँ तै पढ़णो मौक़ा नि मील कारण तब तक म्यार चेक इन जि ह्वे गे छौ।  


  19/9  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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यात्रा मा अफु तैं गढ़वळि कतै नि बतावो

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                          यात्रा मा अफु तैं गढ़वळि कतै नि बतावो 
                  
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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती    
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              यात्रा करण जानवरूंक , नेताओंक इ ना मनिखुं चरित्र बि च। दू- दूर फार यात्रा करण अब आम बात ह्वे ग्ये।  अब अमेरिका केवल गुजराती इ नि जांदन बल्कि गढ़वळि बि अमेरिका जांदन , अफ्रीका की यात्रा केवल सिंधी , पंजाबी अर गुजराती नि करदन बल्कि अफ़्रीकी देशों का वास्ता गढ़वळि बि वीसा बणान्दन। बैंकॉक पटाया का मालिस घरों का भैर अब उनियाल , रावत अर टमटा बि रिंगणा रौंदन। 
  पर मेरी राय च कि गढ़वळि दिल्ली की यात्रा कारन या अमेरिका की या मकाओ की गढवळयुं तै यात्रा मा अफु तै गढ़वळि नि बताण चयेंद। 
 आप रेल का कूपा मा अफु तैं गढ़वळि बतावो ना कि परदेसी  बुलण शुरू ह्वे जांद ," अच्छा अच्छा ! वो आप की ही इन कौम च ज्वा अपण भाषा बोली छुड़दि ?"
 फिर आपन  ये भाषा कु गौळ तै कनि  बि टपि दे तो दुसर सदाबहार टिप्पणी मिल्दि , "अच्छा आप लोगुंन अपण पुंगळ पटळ करण छोड़ी दे हैं ? हिमाचल वळुन खेती किलै नि छोड़ि होलि ?"
 जरा आपन ब्वाल ना कि आप नैनीताल या देहरादून तरफां का छवां तो पुछणवळ बोल्दु ," अच्छा अच्छा ! नारायण दत्त तिवारी का गांवका छंवां।  एक बात बतावो ऊना हिमालय मा इन क्या जड़ी बूटी मिल्दी कि पिचासी साल का बुड्या बि   .... ?"
आप यांक जबाब मा बोलि देल्या ," नै नै हमर इक हेमवती नंदन बहुगुणा जन नेता बि छया। "
तो हैंक परदेसीका उत्तर तयार रौंदु, औ ! घर्या कज्याण तै पागल घोषित करिक दुसर ब्यौ ! मजा छन यार तुमर। "
फिर तुम बतैल्या कि तुम बद्रीनाथ -केदारनाथ का छंवां। तो बरोबर टिप्पणी आदि ," लैंड स्लाइड ही लैंड स्लाइड ! आपदा ही आपदा ! तुमर इखाक ऑफिसर बड़ा भ्रष्ट छन भाई।  आपदा प्रबंधन मा जांद स्कूटर मा छन अर बिल कार का लगांदन। "
यदि तुम बात तै मिलिट्री का तरफ मोड़ो तो भी परदेसी का प्रश्न हूंद ," ये मैना आपक परिवार मा पाक फ्रंट मा , चाइना बॉर्डर या नक्सली हमला मा कु शहीद ह्वे ?"
यदि फॉरेन कंट्री मा कैन वै  विदेशी  धुर्या लेखक की जौनसार बाबर मुतालिक किताब पढ़ीं हो तो इन बि टिप्पणी आंद, " अच्छा तुमर इकु ब्वे हूंदी अर कथगा इ बुबा ?"
जब तुम अफु तै गढ़वळि बताओ तो इनि कुछ कमेंट्स मिल्दन। 
किन्तु परदेसी चाहे भारत का हो , अमेरिका का हो , जपान का हो या ऑस्ट्रेलिया को हो हरेक परदेसी अंत मा एक प्रार्थना अवश्य करद , "भाई साब !  मुझे एक ईमानदार कुक , खानशामा की शख्त जरूरत है।  गढ़वाली बोर्न ऑनेस्ट कुक  होते हैं।  दो  चार ऑनेस्ट कुक भेजिए ना !"
इन मा अफु तै गढ़वळि नि बताण चयेंद कि बताण चयेंद ? आप इ मि तै सलाह द्यावो जी। 



 20 /9  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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Sunday, September 13, 2015

LEARN AND TEACH GARHWALI गढ़वळि सीखा अर सिखावा (33rd day )

Translated by :   Khushal Singh Rawat, Mumbai 


 IN ENGLISH
 IN ROMAN ENGLISH /  GARHWALI
गढ़वालि  म 
NEGATION
NISHEDH / NAA KARNU
 ना करणु / निषेध 
  I can't accept what you say .
  Min tumaru boleun ni manun
 मिन तुमरु बोलेवू  नि मानुणु। 
 I know nothing in this connection .
 Me ni jaanund.
 मि नि जाणुंदु। 
 Don't do such mischief again.
 Ini shararat phir ni kari ho .
 इनि शरारत फिर नि करी हो। 
 It's not like that .
 In baat ni cha.
 इनि बात नि च। 

 He could not manage  to get leave .
 We tai chhuti ni melee.
 वे तै छूटी नि मिली। 
 I have no complaint .
 Me tai kwee aitraaj ni cha .
 मि तै क्वी ऐतराज नि च। 
 It's impossible .
Inu whey ni sakdu .
 इनु व्हे नि सकदु। 
 No, I could not go.
 Na, mi jaa ni saaku .
 न , मि नि  जा सकदु। 
 I don't know .
 Mi tai pataa ni cha .
 मि तै पता नीच। 
 I don't want any thing.
 Mi tai kuchh ni chaindu.
 मि तै कुछ नि चैंदु। 
 Nothing.
 Kuchh na.
 कुछ भि न। 
  How can I do this !
 Me kan kai kairi sakdu.
मि कन क्वे कैरी सकदु। 
 I can't do this .
 Me ni kairi sakdu.
 मि नि कैरी सकदु। 
 I don't agree .
 Me sahmat ni chhu.
 मि सहमत नि  छौं। 
 This is not true .
 Yu sach ni cha .
 यु सच नि च। 
 You should not allow this.
 Tum tai ni karni din chaindu .
 तुम तै नि करण दीणु चैंदु। 
 Don't find fault with others.
 Dusru ma galti ni dhoonda .
 दूसरा म गलती नि  ढूंढा। 
 Don't be proud of your money.
 Painsu ku ghmand ni kara.
 पैसू कु घमंड नि कारा हो। 
 Don't cheat any body.
 Dusru tai dhoka ni dya .
 दुसरो तै ध्वखा नि द्या। 
 Don't walk on tall grass.
 Lambi ghass ma ni chala .
 लम्बी घास म नि चाला। 
 Don't be stubborn.
 Jid n kara .
 जिद नि कारा हो। 
 Sorry, I can't buy it .
 Maaf kara, mi ni kharid sakdu .
 माफ़ कारा , मि नि खरीद सकदु। 
 Sorry, I don't have any change.
 Maaf kara, mi m rajgari ni cha .
 माफ़ करा,  मीम रेजगारी नि च। 
 I don't know how to sing.
 Me gaana ni gaa sakdu.
 मि गाणा नि गा सकदु। 
 Don't be angry.
 Gusaa ni kara ho.
 गुस्सा  नि कारा हो। 



 CONSENT
 SAHMATI / RAAJI HUN
 राजी हुण/सहमत   



 As you like.
 Jan tum tai pasand cha.
 जन तुम तै पसंद च। 
 You are right.
 Tum baro bar / thik chha.
 तुम बरो -बर  / ठीक छा। 
 I have no objection.
 Me tai kwee aitraj ni cha.
 मि तै क्वी ऐतराज नि च। 
 It does not matter.
 Kwee parwa ni cha.
 क्वी परवा नि च। 
 I agree with you.
 Me tum dagdi chhoun.
 मि तुम दगडी छौं। 
 Yes, it's true .
 Han, yu sach cha.
 हाँ, यु सच च। 
 I will follow your advice .
 Me tumari baat mannudu.
 मि तुमरी बात मणदु। 
 I accept your invitation.
 Me tumaru nimantran sweekar kardu.
 मि तुमरु निमंत्रण स्वीकार करदु। 
 Do as your father says .
 Jan tumara bubaji buna chhan , wuni kara .
 जन तुमरा बुबा जी बुना छन , वुनी कारा। 
 You don't seems to agree with me.
 Tum me dagdee raaji ni dekhna chha.
 तुम मि दगडी राजी नि देखणा छा। 



 SADNESS
 DUKH
 दुःख 



 Excuse me / Pardon me.
 Shama kara / Maaf kare.
 क्षमा करा / माफ़ कारा।  
 I am sorry . You had to suffer because of me.
 Mi tai maaf kara, Tum tai meri bajah se takleep why.
 मि तै माफ़ करा, तुम तै मेरी बजह से तकलीप व्हाई। 
 I am very sorry to hear this.
 Mi tai u suni kai dukh why.
 मि तै यु सुणी दू;ख व्हाई। 
 My sympathies are with you.
 Meri sahanubhiti cha tum dagdee.
 मेरी सहानुभूति च तुम दगडी। 
 Continue ...............

 लगातार। ………… 

जब चिर सुंदरी भुंदरा बौ का कारण छ्वारा, बुड्या रतखुनिम नयाण मिसे गेन

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                  जब चिर सुंदरी भुंदरा बौ का  कारण छ्वारा, बुड्या  रतखुनिम नयाण मिसे गेन 
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                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती    
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     ऊंक गां क्या तुमर विलेज मा बि इन नि ह्वे होलु जन भुंदरा बौक ससुराड़ि गौं मा ह्वे।  सरा गौं मा बूड -बुड्या परेशान कि ये गाँव तै क्या ह्वे गे।  जखम जावो तखम एकी छ्वीं ब्त्था कि अचकालो छ्वारों पर या ऋषि मुनियों बाण कन लग ! यि गांवक युवा वर्ग जखमा ब्यौ बंद वाळ युवा बि छया वी बि गौतम ऋषि तरां रतखुनि से पैलि नये धुएक तयार ह्वे जांदन।  
  किशिर याने टीनएजर्स अर युवाओं की ब्वे , बैणि अर बौ सब दुखी छया बल यूँ किशोरुं अर युवाऊँ घाम आण से पैल नयाण से अब उ अपण सुबेर सुबेर का वाकछल कर्मकांड अर स्वास -निस्वास क्रिया अर प्राणायाम से बंचित ह्वे गेन। 
जब घ्याळ दा घाम आण तक नि बिजद छौ तो अपण स्वास क्रिया ठीक करणो वास्ता घ्याळ दा कि बैणि तौळ उबर से इ धै लगान्दि छे - भैजि घाम ऐ गे , ग्विरमिलाक हूण वळ च , बिजी जा। घ्याळ दा तक वा आवाज कबि बि नि पौंछि होली पर अभ्यास का  खातिर भुलि अपण धरम निभांदि छे। 
नणद की आवाज अभ्यास से जळ भुनिक घ्याळ दाकी बौ रुस्वड़ो  द्वार तक ऐक धै लगान्दि छे - जन जलड़ि   तन डंकुळि ।  हे घ्याळु ! खड़ हो निथर तेरी ब्वेन तेरी ददिक मैत्युं तै अर म्यार मैत्युं तै गैदान की जगा गाळीदान दीण हाँ।  तब बौकि सुणन जरूरी नि छे तो घ्याळ दा पर कुछ फरक नि पड़दो छौ पर ब्वारिक तून/ताना  से घैल - घायल ह्वेकि घ्याळ दाकि ब्वे गाळी मांगळ शुरू कर दींदि छे - ये कन म्वार त्यारू ! निसिणी ह्वेन तेरि ! जा जन सियुं छे तनि सियुं रै   …। 
 इना द्यूराणीक गाळी पुराण से जळीक घ्याळ दाकी बोडी आग की भट्टी बण जान्दि छे अर वा बि अपण बेटा तै बिजाळणो धै सग्वड़ बिटेन लगान्दि छे - ये कन बिजोग पोड़ तेकुण ! खत्ता भरेन तेरि ! जा इनि सियां मा खटला मा तेरी डंडलि सज्यावो ! खड़ु हो।  अब द्यूराण याने घ्याळ दाकि ब्वै अपण गाळयूँ की स्पीड हि नि बढ़ांदि छे अपितु गाळयूं मा मर्च  बढ़ै दींदि छे अर फिर जिठाण तै ताव ऐ जांद छौ तो   वा अपण नौनु तै बिजाळणो वास्ता गाळयूँ मा अम्ल -ऐसिड की मात्रा वृद्धि कर दींदि छे।  हाँ अब गाळी अपण पुत्रों तै नि दिए जान्दि छे अपितु बच्चों का दादीक मैत या ब्वार्युं मैत वळु तै गाळी अर्पित हूंद छा।  पर ना तो घ्याळ दा अर ना ही घ्याळ दा का चचेरा भाइक कन्दूड़ गाळी पुराण का प्रवचन सुणदा छा।  द्यूराणि -जिठाणि की गाळी प्रतियोगिता से गांवक हौरि पवित्र नारी बि प्रभावित ह्वे जांद छा  अर हरेकाक घौरम गाळयूंक मांगळ लगण मिसे जांद छा।  सरा गांमा का चौक अर कुलणियूं मा गाळयूं ऋचाएं गुंजायमान ह्वे जांद छा। सरा गांमा गाळयूं ऋचाऊँ कोलाहल से डौरिक चखुल दुसर गां जिना उड़ जांद छ (हालांकि उख बि गाळी श्लोक  हवा मा तैरणा रौंद छया  )। कवियों की कल्पना रौन्दी छे कि गांवुं मा सुबेर सुबेर गौरया की चहचहाट , कोयल की कू कू अर पंछ्युँ की मधुर आवाज गुंजणि रौंद पर ये गांमा किशोर अर सबि युवाओं का देर से बिजणौ कारण हवा मा गाळी बा काटणि रौन्दि छे। 
   जख तक नयाणो सवाल च तब गांमा किशोर अर युवा अपण लिखल , जूं अर मैल से जान से बि जादा  प्रेम करदा छा तो हफ्ता द्वी ह्फ़्तौं  मा इ किशोर अर युवा पाणीम जैका नयांदा छा।  गुन्दर जन युवा बि छौ जैक शरीर का लिखल , जूं अर मैल गुंदरूक  शरीर से ऊबी  (बोर ) जांद छया किन्तु गुंदरु महीनों तक नयाणो नाम नि लींदो छौ।  गुंदरु तै गरम पाणि देखिक बि जड्ड़ु लगण बिसे जांद छौ।  किन्तु अब गुंदरु रात खुलण से पैलि नयेणो पंद्यरम पौंछि  जांद छौ।  
     पर अब कुछ दिन से गांवक सरा दिनचर्या ही बदल गे।  पाकिस्तान मा आतंकबाद खतम ह्वे जावो तो दुनिया कन आश्चर्य कारलि  ऊनि आश्चर्य सरा गाँव मा फैल्युं छौ कि यूँ किशोरों ,  युवाओं तै ह्वाइ क्या च कि रतखुनि मा इ किशोर , युवा अर कुछ प्रौढ़ बि पाणि -पंद्यर बिटेन   नये धुएक  ऐ जांदन।  गांवकी की आर्थिक स्थिति पर बि फरक पोड़ि गे छौ।  गांवमा साबण की खपत बढ़ण से हरेक गृहस्वामिनी इनि परेशान ह्वे गेन जन आज अल्लु - प्याज का भाव से गृहस्वामनी परेशान छन। किशोर तो किशोर , युवा तो युवा अब तो मड़घट जाण जोग बुड्या बि नयाणो बान रात खुलण से पैलि पाणिम,  पंद्यरम , छिंच्वड़म पौंचि जांद छा।  अब सब किशोर , युवाओं अर बुड्यों पर सुबेर सुबेर स्नान करणो रोग लग गे छौ। 
गांवकी जनानी परेशानी की स्थिति मा छे कि ऊंको गाळी ऋचाएं सुणाण से ऊंको प्रणायाम ह्वे जांद छौ अब यु प्राणायाम बंद ह्वे गे  , चिड़ियाएँ दुखी छन  कि अब गांमा जनान्युं जगा डीजे (DJ ) प्रोग्राम ऊँ तै दीण पड़नु च,  इख तलक कि  कुत्ता बिरळ  बि दुखि छन कि अब किशोर , युवाओं अर बुड्यों सुबेर बिजण से ऊँतै सुबेर सुबेर बिजण पड़द। गांव मा किशोर , युवाओं , बुड्यों का सुबेर बिजिक नयांणो प्रकरण से सामाजिक , सांस्कृतिक अर कृषि की आर्थिक  स्थिति बि बदलेणि छे। 
    कुछ दिन तो जनानी आपस मा इ छ्वीं लगाणा रैन कि गाँव मा यु भयंकर बदलाव कनै आयि अर अचाणचक सरा मरद जात इन किलै सुदरी गे।  अब जनान्युन सीबीई का सहारा ल्याई याने जासूसी कार।  
   अर जब मरद जात का सुबेर बिजण अर रोज रतखुनी से पैल पंद्यरम नयाणो   भेद खुल तो जनानी तो जनानी गांवकी गौड़ी अर भैंसी बि बेहोश ह्वे गेन। 
    ह्वै क्या छौ कि भुंदरा बौ जब बिटेन अपण ससुरास आइ तब बिटेन गांवका किशोर , यवा अर बुड्यों मा रतखुनी से पैल नयाणो आदत पड़न शुरू ह्वे गे। 
चिर सुंदरी भुंदरा बौ तै सुबेर चार बजि नयाणो की आदत हि नि छे अपितु नळ, धार  या छिंछवड़ तौळ नयाणो आदत जि पडीं छे। तो भुंदरा बौ ससुरास आणो बाद बि सुबेर उठिक पंद्यर /पाणी /पनघट जांदी छे अर मजा से नयेक ऐ जांदी छे।  किन्तु जनि किशोर युवाओं तै पता चल कि चिर सुंदरी रातखुलण से पैलि धारम नयाँदी तो स्निग्ध  , दिव्य , दीप्तमान सुंदरी तै नयाँद दिखणो इच्छा किशोरों , युवाओं मा जागृत ह्वे गे अर पैथर यु इच्छा रोग बुड्यों पर बि लग गे अर सरा गांवक मरद रतखुनी से पैल बिजण लग गेन अर नयाणो बान पंद्यरम अटकि जांद छा कि  चिर सुंदरी का गात की एक झलक इ दिखे जावो। 
 यु ठीक ह्वे कि मरद जात सुबेर बिजण लग गे किन्तु बिचारा किशोर , युवा अर बूड्यों  की स्निग्ध  , दिव्य , दीप्तमान सुंदरी तै नयाँद दिखणो इच्छा पूरि नि ह्वे साक कारण तिनि रस्तों मा भुंदरा बौका द्यूर -जगत सिंह बिष्ट , बलबीर सिंह रावत अर दिनेश बिजल्वाण बैठ्याँ रौंद छा अर जनि क्वी पाणि जिना  आवो तो यि आठ नौ सालक द्यूर धै लगै दींदा छा - ऐ गेन !  ऐ गेन !  रिक बाग़ ऐ गेन ! 
पर ना तो भुंदरा बौन सुबेर नयाण छ्वाड़ ना ही किशोर , युवा अर बुड्योंन सुबेर बिजण छ्वाड़।  गांवकी अन्य जनानी अब गाळी ऋचाएं सुणाण  से बंचित ही छन। 


(श्री सम्पूर्ण सिंह बिष्ट (डवोली , डबरालस्यूं , पौड़ी गढ़वाल द्वारा सुनाई गयी एक सत्य घटना पर आधारित )।  

  12/9  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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